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भैरव पद्मावती कल्प Kev फक्षर नभस्थाने स्मशानस्थित कर्पटे ।
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निम्बार्कजर से नैतद्वि लिखेत्क्रद्धचेतसा ॥ १३ ॥
भा० टी० – उपरोक्त यन्त्रमें हके स्थान में 'फट' बोजको स्मशान से लिये हुये कपडेपर नीम और आकके रसमें क्रोधमें भरकर लिखे ।
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स्मशाने क्षिपेदयन्त्र यावत्तद्भुवि तिष्ठति । परिभ्रामत्यखौ तावद्वैरि काक इव मितौ ॥ १४ ॥
भा० टी० - उस यन्त्रको स्मशान में फेंक दे । जबतक यह यन्त्र वीपर रहता है तबतक शत्रुको आकाशमें कौवे के समान पृथ्विपर घुमाता रहता है । यत्र स. ११
शत्रुके छेदन, भेदन और निग्रह में म रंजिका यन्त्र
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