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है भैरव पसारती पल्प
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लगाकर मोवे तो कर्णपिशाचिनी देवी सोते समय सोचे हुये कार्यको कानमें कहती है।
यंत्र संख्या ४१
प्रहहरण यन्त्र
ज.
अ
आ
मनवर कारपतुर्दशपछान्पितं कूट बीजकं विलिखेत् ।
शिखिवायुमण्डलस्थं सनामखरताडपत्रगतम् ।। २४ ।। भा० टी०-एक खुरदड़े ताद पत्र पर नाम सहित दम्ल्यू बीजको चौदह कलामों (ल और ऋके बिना सोलह स्मरों) के अंदर लिखकर वाहिर अग्निमण्डल और वायुमण्डल बनावे ।
मार्तण्डस्नुग्दुग्धत्रिष्टुकडयमन्धचर्पपसद्मभवघूमैः । आलिप्यळलाटस्थं प्रदिणां कुरुते ग्रहावेशम् ।। २५ ॥