Book Title: Bhairav Padmavati Kalp
Author(s): Mallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 134
________________ ११४] * भैरव पावती फल्प भा० टोc-"* स्वाहा" इस मन्त्रसे दृष्ट पुरुषके शरीरसे विषो खींघडर मसकसे अमृत चुवाता हुभा निम्नलिखित दूत मन्त्रले दूतो गिरावे। दूतमन्त्रोद्धार “ॐ नमो भगश्त्यै पनतुम्हाय स्वाहा रक्ताक्षि कुन खि दूतं पातय २ मर २ दर २ ट ट ट हूं फट् घे घे।" दष्टपातन और पटाच्छादन मन्त्र ईनामों पट्र मन्त्रोचारणतः पतति भोगिना दष्टः। ॐ होमादिपदान्तो इष्टपटाच्छादनो मन्त्रः ॥ २७ ॥ भा० टी०-ई गं ॐ फट' इस मन्त्रके उच्चारणसे सर्प दष्ट पुरुप पृथिवी पर गिर जाता है। फिर 'ॐ स्वाहा 6 6 6 6 6 हुष्णां सर्व संहारय २ ॐ य ॐ ॐ गरुडाक्षि फट् ॐ फट ॐ स्वाहा ।" इस मन्त्रसे उस गिरे हुये सर्पदष्ट पुरुषको चख ओढ़ाना चाहिये। पवननमोझरमन्त्रेणाकृष्य च धावने ततो वस्त्रम् । अनुधावति तत्पृष्ठं यत्र पटः पतति तत्रासौ ।। २८ ।। भा० टो-फिर यह सर्प दष्ट पुरुष 'स्वाहा' इस मन्त्रसे बन उठाफर भागनेवाले पुरुषके पीछे भागता है और जहां कहीं वन गिरता है वहीं यह सर्पदष्ट पुरुष भी गिर जाता है। निर्विषकरण मन्त्र ।। मन्त्रेमानेन फणिविपमुक्तो भवति जल्पितेन शनैः । अपहरति निमस्थानादशितेऽपि विष न संक्रमते.॥ २९ ॥

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