Book Title: Bhairav Padmavati Kalp
Author(s): Mallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ ९४] । भैरष पभावती कल्प नवम परिच्छेद (तन्त्राधिकार) मोइन तिलक लगङ्गभङ्कमोशीरनागकेशरराजिनाः । एडामनः शिलाकुष्ठतगरोत्पलरोचनाः ।। १ ।। भा० टी०- लवंग, केशर, चन्दन, नागकेशर, सफेद सों, इलायची, मनशिल, कूठ, तगर, सफेद कमल, गोरोचन, श्रीखण्ड तुलसी, पिका पद्मकं कुटजान्वितम् । सर्व समानमादाय नक्षत्रे पुष्यनामनि ॥२॥ भा० टी०-लाल चन्दन, तुलसी, पिका (गन्ध द्रव्य ), पन्नाखा और कुटजको पुण्य नक्षत्र में पराबर २ लाकर, कन्यया पेषयेत्सर्व हेममूतेन बारिणा। कुरु चन्द्रोदये जाते तिलक जनमोहनम् ॥ ३ ॥ भा० टी०-सवको धतूरेके रपमें कुमारी कन्यासे पिसवा कर उसका चन्द्रोदय होने पर तिलक करनेसे ससार मोहित हो जाता है। स्त्रीवश्य पान यहि शिखा खितगुप्ता गोरम्भा भानुकीटकस्य मलम् । निजपनमलोपेतं चूर्ण बनितां वशीकुरुते ॥ ४ ॥ भा० टी०-मयूरशिखा, सफेद गुजा, गोरंगा (गोभी), आकका पत्ता, कीटकका मठ और भपने '-पांचों मलों का चूर्ण सीको वशमें करता है। -

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160