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। भैरष पभावती कल्प
नवम परिच्छेद (तन्त्राधिकार)
मोइन तिलक लगङ्गभङ्कमोशीरनागकेशरराजिनाः । एडामनः शिलाकुष्ठतगरोत्पलरोचनाः ।। १ ।। भा० टी०- लवंग, केशर, चन्दन, नागकेशर, सफेद सों, इलायची, मनशिल, कूठ, तगर, सफेद कमल, गोरोचन,
श्रीखण्ड तुलसी, पिका पद्मकं कुटजान्वितम् ।
सर्व समानमादाय नक्षत्रे पुष्यनामनि ॥२॥ भा० टी०-लाल चन्दन, तुलसी, पिका (गन्ध द्रव्य ), पन्नाखा और कुटजको पुण्य नक्षत्र में पराबर २ लाकर,
कन्यया पेषयेत्सर्व हेममूतेन बारिणा। कुरु चन्द्रोदये जाते तिलक जनमोहनम् ॥ ३ ॥ भा० टी०-सवको धतूरेके रपमें कुमारी कन्यासे पिसवा कर उसका चन्द्रोदय होने पर तिलक करनेसे ससार मोहित हो जाता है।
स्त्रीवश्य पान यहि शिखा खितगुप्ता गोरम्भा भानुकीटकस्य मलम् । निजपनमलोपेतं चूर्ण बनितां वशीकुरुते ॥ ४ ॥ भा० टी०-मयूरशिखा, सफेद गुजा, गोरंगा (गोभी), आकका पत्ता, कीटकका मठ और भपने '-पांचों मलों का चूर्ण सीको वशमें करता है। -