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भैरव पजाती कल्प
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योगफलमें नख (वीस) को जोड़कर तीनसे गुणा दे और गुणनफलको पन्द्रहका भाग दे। याद शेषमें सम अक्षर हो तो बिरुद्ध फल और निषम अंक हो तो शुभ फळ काहना चाहिये । यह प्रयोग भव्यरूपी कसलोंको - सूर्यके लामान खिलाने वाले उत्तमर मुनियोंने कहा है। यंत्र संख्या ४२
युद्ध में अर्द्धन्दुत्रिशूब यन्त्र अर्द्धन्दुरेखाग्रगतं त्रिशूलं मध्ये च लम्यक् प्रबिलिख्य धीमान् । ऋक्षेऽमवास्या प्रतिपदिने तु यस्मिन्मृगाको व्यवतिष्ठतेऽसौ ॥ ३०॥
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जीर पीर अभागस्य और अतिपद मोग में दिम चन्दमा तमाम श्रेतोपत्र मिन लिरियत प्रकार से कालिंयाजाने