Book Title: Bhairav Padmavati Kalp
Author(s): Mallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
२]
भैरव पन्नावती कल्प।
तिट धान्यानां होमै राग्यदुतैर्भवति धान्यधनवृद्धिः ।
मल्लीप्रसूनहोमात्रघृतावश्यन्ति योगिजनाः ।। ३९ ।। भा० टी०-तिल, धान्य गौर घृतके होमसे धन धान्यकी वृद्धि होती है। मल्लिका (मोगरा) पुष्पके हवनसे योगिजन वशमें हो जाते हैं।
घृत युतचूत फडानां परहोमादपति खेचरीवश्या । बट्यक्षिणी सोमाद्भवति रशे ब्रह्मपुष्पाणाम् ॥ ४०॥ भा० टी०-पी और मामके फलोंके हमनसे विद्याधरी वशमें होती है। पठाशके पुष्पोंके होमसे बट्यक्षिणी पशमें होती है।
गृहधूम निम्बराजी साबणान्षित काकपक्षकृतहोमै ।
एकोदरजातानामपि भपति परस्परं वरम् ।। ४१ ॥ भा० टी०-गृह धूम (भागार धूम), नीम, सफेद सरसों, नमक और काकपझके होमसे सगे भाइयोंका भी आपसमें द्वेष हो जाता है।
प्रेत बन शल्यमिश्रितबिभीतकाङ्गार सदन धूमानाम् । होमेन भवति मरणं पाहाद्वैरिलोकस्य ॥ ४२ ॥ भा० टी०-स्मशानकी अस्थि, बहेड़ेके अंगारे और गृहधूमके होमसे शत्रु एक पक्षके बन्दर२ मर जाता है। इति उभयभाषा विशेखर श्रीमल्लिषेणसूरि विरचित भैरव पद्मावती फ्ल्पकी पंडिता बाबसीदेवी सरस्वती (धर्मपत्नी काव्यसाहित्यतीर्शचार्य प्राच्यविद्यावारिधि भी चन्द्रशेखर शास्त्रो) कृत भाषा टीकामें "वश्य यन्त्राधिधार" नाम
सप्तम परिच्छेद समाप्त ॥ ७॥

Page Navigation
1 ... 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160