________________
३६]
भैरव पद्मावती कल्प
तुर्यस्वरं लिखेद्विद्वान् मस्थाने नामसंयुतम् ।
कुकमागुरु करे जे रोचनयाऽन्वितम् ॥ १७ ।। भा० टी०-उपरोक्त यत्रमें 'म' के स्थानमें 'ई' बोजको नाम , सहित कुंकुम, अगर, कपूर और गोरोचनसे भोजपत्र पर लिखे।
सुवर्णमिटित कृत्वा बाहौ च धारयेद्गले ।
करोतोद सदा यन्त्रं तरुणीजनमोहनम् ।। १८ ॥ __भा० टो०-फिर इस यत्रको सोनेमे मढ़वाकर भुजा या गलेमें पहिने तो यह यंत्र सदा स्त्रियोको मोहित करता है।
यंत्र सं. १३-स्त्री सौभाग्य में क्ष वप रंजिका यन्त्र
A
alsीनिक
-
विजयी
vale
मददेवदत
(जमल्याजा
हाहा:SHum
तेस्वा होमपर)
को
-