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________________ भैरव पद्मावती कल्प Kev फक्षर नभस्थाने स्मशानस्थित कर्पटे । Cedeevn निम्बार्कजर से नैतद्वि लिखेत्क्रद्धचेतसा ॥ १३ ॥ भा० टी० – उपरोक्त यन्त्रमें हके स्थान में 'फट' बोजको स्मशान से लिये हुये कपडेपर नीम और आकके रसमें क्रोधमें भरकर लिखे । ३४ ] स्मशाने क्षिपेदयन्त्र यावत्तद्भुवि तिष्ठति । परिभ्रामत्यखौ तावद्वैरि काक इव मितौ ॥ १४ ॥ भा० टी० - उस यन्त्रको स्मशान में फेंक दे । जबतक यह यन्त्र वीपर रहता है तबतक शत्रुको आकाशमें कौवे के समान पृथ्विपर घुमाता रहता है । यत्र स. ११ शत्रुके छेदन, भेदन और निग्रह में म रंजिका यन्त्र वेज लेख HA देव्म ר अनि तेस हा द्विवस्व ଯୀ देव कल्ट CR त्रिवैदेहिक र
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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