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र भैरव पद्मावती कल्प
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फटाथाने लिखेद्ध् न्त मूर्जेतनामसंयुतम् । विषोपरक्तयुक्तन नोलसूत्रेण वेष्टितम् ।। १५ ।। भा० टो०- उपरोक्त यन्त्रमें फटके स्थानमे 'म' वीजको नाम सहित भोजपत्रपर शृङ्गाविष और गधेके रक्तप्ते लिखकर नीले ध गेसे लपेट दे।
मृत्पुत्रको स्थाप्यं तत्श्मशाने निवेशयेत् ।।
सप्ताह ज ते शत्रोच्छेदभेदादि निग्रहः ॥ १६ ॥ भाट -फर उस यत्रको मिट्टीके पुतलेके पेट में रखकर स्मशानमें रखनेसे मानदिलमे शत्रुका छेदन-भेदन और निग्रह आदि होता है।
यंत्र सं. १२- वशीकरण में ई रजिका यन्त्र
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