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भैरण पावची कल्प
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शशीगरतरक्ताभ्यां वृहपाळपुटे दिखेत् ।
प्रेतास्थिजातलेखिन्या यः स्वाने तु नभोक्षरः ।। ११ ।। भा०टी०-उपरोक यन्त्रमें य: के स्थान में हं बीजको शङ्ग विष और गधेके रक्तमें (!) मृतककी हट्टीकी परमसे मनुष्य के कपालपर लिखे ।
स्मशाने क्षिपेद्रोषात्कृत्या तद्स्मपूरितम् । करोति तत्कुल्लोच्चाट वैरिणां सप्तरात्रितः ।। १२ ।। भा० टी०-फिर उस यन्त्रको भस्मसे भरकर क्रोधपूर्वक स्मशानमें फेंके तो यह यन्त्र सात दिनमें शत्रुके कुटुम्बभरका उच्चाटन कर देता है। यंत्र सं. १०
उच्चाटनमें फट् रंजिका यन्त्र
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