Book Title: Avashyakiya Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhimuni, Buddhisagar
Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya

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Page 5
________________ साधुसाध्वी ** अहन्नम * श्रीखरतरगच्छनभोमणि-परमगुरु-श्रीमोहनमुनीश्वर-श्रीजिनयशःसूरि-श्रीकेशरमुनिपदपंकजेभ्यो नमः । विधिप्रपा आचारदिनकर तथा साधुविधि प्रकाशसे संग्रहीत-संवेगपाक्षिक सुविहित ___ साधु साध्विओंके करने योग्यआवश्यकीय-विधि-संग्रहः XAXXXAXXXANAXNXX १-राइय-पडिकमण विधिःस्थापनाचार्य अथवा गुरुके सामने खमासमण० देकर इरियावही (१) पडिकमे, एक लोगस्सका काउस्सग्ग करे, पार कर प्रगट लोगस्स कहे, खमा० (२) देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! कुसुमिण दुस्सुमिण || (१) जहां जहां इरियावही पडिक्कमने का होवे वहां वहां सर्वत्र लोगस्सका काउस्सग्ग तथा णमो अरिहंताणं कह कर पार कर प्रगट लोगस्स कहने तक समझना । (२) जहां जहां 'खमा के आगे बिंदी होवे ? वहां वहां पूरा खमासमणा समझना । JainEducation internat i 0.00 For Private & Personal use only Dilaw.jainelibrary.org

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