Book Title: Avashyakaniryuktidipika Part_2
Author(s): Manekyashekharsuri
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala Surat
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आवश्यक- सवं राईभोअणं । जावजीवाए अणिस्सिओहं नेव सयं राईभोअणं अँजिवा नेवन्नेहिं राईभो- कायोत्सनियुक्ति - अणं भुंजाविजा राईभोअणं भुंजते वि अन्ने न समणुजाणिज्जा तंजहा-अरिहंतसक्खि सिद्धस
ध्ययने दीपिका
पाक्षिकक्खि साहुसक्खिअं देवसक्खिअं अप्पसक्खिों एवं भवइ भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविर
सूत्रम् ॥ ॥१७४॥
| पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे दिआ वा राओ वा एगओ वा परिसागओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा।
एस खलु राईभोअणस्स वेरमणे हिए सुहे खमे निस्सेसिए आणुगामिए [पारगामिए] सन्वेसिं पाणाणं । सवेसिं भूयाणं सवेसि जीवाणं सत्वेसिं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणतायाए अपीडणयाए अपरिआवणयाए अणुद्दवणयाए महत्थे महागुणे महाणुभावे महापुरिसाणुचिन्ने |
परमरिसिदेसिए पसस्थे तं दुक्खक्खयाए कम्मक्खयाए मोक्खयाए बोहिलाभाए संसारुत्तारणाएत्तिकद्दु उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । छट्टे भंते ! उवढिओमि सबाओ राईभोअणाओ वेरमणं ॥६॥ | इच्चेइआई पंचमहत्वयाइं राईभोअणबेरमणछट्ठाई अत्तहियट्टयाए उवसंपजित्ता णं विहरामि ॥ अथाऽपरस्मिन् षष्ठे व्रते रात्रिभोजनाद्विरमणं कुर्वे, रात्रिभोजनं यथा अशनं वा, क्रमात् ओदन १, आरनाल २, लड्डुक (खर्जूर)
AG॥१७॥
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