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पृष्ठ नं०
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सांख्य द्वारा मान्य मोक्ष का खण्डन सांख्य द्वारा मान्य मोक्ष का खंडन चेतन के संसर्ग से अचेतन भी ज्ञानादि चेतन रूप से प्रतीत होते हैं सांख्य की इस मान्यता का निराकरण
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वैशेषिक द्वारा मान्य मोक्ष का खण्डन वैशेषिक द्वारा मान्य मोक्ष का खंडन चित्रज्ञान एक रूप है या अनेक रूप? इस पर विचार मुक्ति में क्षयोपशमिक ज्ञान, सुख आदि का अभाव है न कि अनंत सुखादिकों का अभाव वेदांतों के द्वारा मान्य मुक्ति का खंडन बौद्ध द्वारा मान्य मोक्ष का खण्डन सौगत द्वारा अभिमत मोक्ष का खंडन सांख्यादि अन्य मतावलंबियों के द्वारा मान्य मोक्ष के कारण तत्व भी बाधित ही हैं सांख्यादि द्वारा मान्य मोक्ष का खण्डन सांख्यादि के द्वारा मान्य संसार मोक्ष के खण्डन का सारांश सांख्याभिमत मोक्ष कारण खण्डन सांख्य द्वारा मान्य मोक्ष के कारण का खंडन संसार तत्त्व के न मानने वालों का निराकरण अन्यों के द्वारा मान्य संसार तत्त्व सर्वथा विरुद्ध ही है अन्यों के द्वारा मान्य संसार कारण भी विरुद्ध है सांख्य के द्वारा मान्य संसार के कारण का खंडन सांख्य द्वारा मान्य संसार का खण्डन सांख्याभिमत संसार मोक्ष के कारण के खण्डन का सारांश अर्हत की वीतरागता पर विचार बौद्ध शंका करता है कि वीतराग भी सरागवत् चेष्टा कर सकते हैं क्योंकि.... यत्न से परीक्षित कार्य कारण के अनुयायी होते हैं अहंत ही सर्वज्ञ हैं सभी हेतु अहंत भगवान् को ही सर्वज्ञ सिद्ध करते हैं अन्य बुद्ध आदि को नहीं
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