Book Title: Ashtapad Tirth Puja Author(s): Vallabhvijay Publisher: Hansvijayji Free Library View full book textPage 3
________________ श्री राजनगर (कीकानटनी पोळ मंगन)मोसला पार्श्वनाथ अने विमलजोन स्तवन ओधवजी संदेशो कहेज्यो शांमने-ए देशी.* श्री डोसला पार्श्वनाथ अने विमल प्रभु, कीकाभटनी पोळना देवल माही जो। हेठल ऊपर मूलनायक प्रभु पूजतां, पाप टले तत्काल पूजकनां तांही जो॥ श्री डो० ॥शा त्रण भूवनना मित्र प्रभु के मनोहरु, विमलनाथजी निर्मलता धरनार जो। ऊपशम रस वरसावा दीधी देशना, सांभली नरनारी ऊतयाँ भव पार जो ॥ श्री डो० ॥२॥ त्रण जगतना प्रकाशक के प्रभु पासजी, लोक तणी शुभ आशाना पुरनार जो । शिवनगरीमां निवास कर्यों छे स्वामीये, नाश करी भव पास तणो ते वार जो ॥ श्री डो० ॥३॥ शुक्ल ध्यान धरनार विमल जीन नाथनी, ऊज्वल मूर्ति शोभे अपरंपार जो। देव दानव धरे ध्यान ते निर्मळ चित्तशु, आतम निर्मळ करवा कारण सार जो॥ श्री डो०॥४॥ श्याम सुंदर शोमे मूर्ति प्रभु पासनी रत्न जडित मुगटथी अति मनोहार जो। मेघ घटा साथे शोभे जेम वीजळी, सेवक हंस तरे भव पारावार जो ॥ श्री डो० ॥५॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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