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विषय.
मंगलाचरण
माध्यायप्रारंभ
॥ श्रीः ॥
अथाष्टांगहृदयस्थविषयानुक्रमणिकाप्रारंभः ॥
आयुः प्रयोजन आयुर्वेदोत्पत्तिक्रम ग्रंथका प्रयोजन.
अध्यायः १
आयुर्वेद के आठ अंग दोषों की परिसंख्या दोष का मारकत्व
दोषों के स्थान दोषकाल नियम
अग्निस्वरूप
चारप्रकार के कोष्ठ
- सातधातु
मल
शरीररक्षणोपाय
प्रकृतिका स्वरूप
वातादिदोष लक्षण संसर्गसंनिपात लक्षण.
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रस
रसगुण
तीनप्रकारका रसाश्रयद्रव्य
द्विविधवीर्य
द्रव्यविपाक.
द्रव्यगुण
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रोगकारण रोगारोगस्वरूप दो प्रकारके रोग
दो प्रकारका रोगाधिष्ठान
दो मनोदोष
रोग परीक्षाकरण
देश दो प्रकारका
भूदेश तीन प्रकारका कालनियम
परिचारक गुण रोगी गुण .....
सुखसाध्य रोग कृच्छ्रसाध्यरोग याप्यरोग .....
दो प्रकारका औषध शारीरदोषका परमौषध मनोदोषका औषध चिकित्सा के चारपाद वैद्यके गुण औषधगुण
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अनुक्रम
त्याज्यरोगी
अष्टांगहृदय तंत्र के अध्यायनका संग्रह
शारीरस्थान निदानस्थान
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