Book Title: Aradhana Swarup Author(s): Dharmchand Harjivandas Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वहाणोमां पण कुदरतनी गेची लाकडी अचानक अथडाई, त्यार पछीनी स्थितिने सुधारवाना इरादाथी नोकरी नापसंद करता होवाथी कोई स्वतंत्र व्यापार अर्थे संवत १९५९मां रा. ठाकरसीभाई भावनगर आव्या, पण सारी मूडी मळे नहि अने पूर्वनी जाहोजलालीमां तुर्तातुर्त पेसवु ए बनी शके तेम नहोतुं; जेथी तेओए थोडे पैसे स्वतंत्रतानो अनुभव लेवा दुधनी दुकान खोली, तेमांप्रमाणिकपणे काम चालवाथी तेमां तेमने फायदो मळवा मांडयो. काम आगळ वधारवानी इच्छाथी मदद अर्थे तेमना पुत्र छगनलाल जे ते समये गुजराती स्कूलमां मास्तर हता, तेमने नोकरी मुकावी आ कार्यमा योज्या.. प्रवृत्ति वधतां पैसानी प्राप्ति थवा मांडी. सत्यज छे के कार्य प्रति हिंमत न हारतां स्वाश्रय-खंत-बिनप्रमाद निखालसी ह्रदय साथे धर्म प्रति श्रद्धा अने आ उन्नत्तिना शंगे चढावनारी केटलीक सडकोमांनी आ मर्छम ठाकरसीभाईमां दृष्टिगोचर थती हती. तेमना त्रण पुत्रो श्रीयुत्-छगनलाल,अमरचंद तथा हीरालाल अने बे पुत्रीओ वगेरे सारी स्थितिमां दिवस निर्गमन करे छे. आ सुखी युथ स्वजन स्नेहीने बाह्य चक्षुथी छेल्लां निरखी संवत १९७२ ना कारतक वद ३ ने बुधवारना प्रभाते दिव्य चक्षुथी संतोषातां परलोकगमन थयु. प्रभो! आ भविक आत्माने शांति-शांति बक्षो. नामांकित जनो तथा मातबर श्रीमंतोना संबंधी घj लखवामां आवे छे, पण अनुकरणीय सद्गुणसंपन्न साधारण पुरुषोने ढंकायेल गुप्त राखवानी रीतमा सुधारो करवा जैनेत्तरे विचारवा जेवु छे, For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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