Book Title: Aradhana Swarup Author(s): Dharmchand Harjivandas Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir U दरियाइ मार्गपर काठियावाडने किनारे घोघा बंदर छ, त्यां दिगंबर जैन दशाहुमड ज्ञातिमां शेठ नत्थुभाई झवेरचंदनुं कुटुंब जाणातुं हतुं अने आ चरित्रना नायक शेठ ठाकरसीभाईनो जन्म तेज कुटुंबमां शेठ नत्थुभाईने त्यां थयो हतो. तेमना पिताए घोघामां एक कुशळ गांधी व्यापारी तरीके सारी ख्याति मेळवी हती; तेमने बे पत्नी हतां, जेमांनी बीजी हाल हयात छे. प्रथम पत्नीथी तेमने बे पुत्रो हता, जेमां मोटानुं नाम टोकरसी अने बीजा आ निबंधनायक ठाकरसीभाई हता. वीसमी सदीनी शरूआतमां अत्यारना प्रमाण करतां केळवणी पामवाने सगवड तथा साधनो घणां ओछां हतां, जेथी ते जमानाना पुरुषो स्कुलकेळवणी करतां संसार के व्यवहारकुशळ बनवू वधारे पसंद करता, अने तेवोज क्रम रा. ठाकरशीभाई माटे तेमना पिता तरफथी योजवामां आव्यो हतो. आपणी देशी केळवणीनो बनी शके तेटलो योग्य अभ्यास कराव्या बाद लग्नसंबंधथी तेमने जोडवामां आव्या. त्यार बाद रा० ठाकरशीभाईए संसारसमुद्रमा पोतानी जीवननौका झोंकावी अने ते समये व्यापारमा व्यवहारज्ञ एक कुशळ सुकानी तरीके तेमणे सारी नामना मेळवी. रा. वताए एक ठेकाणे लख्यु छे के " दैव्यनी वातो विचित्र होय छे, हर्षशोकनी रंगीन ध्वजापताका दुनियामां क्षणे क्षणे फरक्या करे छे अने दशी वीसी या उदय अस्तना पडदा निरंतर ऊंचा नीचा थया जाय छे." ए सुत्रोनो अनुभव रा. ठाकरसीभाईने पण लेवो पडयो. संवत १९५७मां तेमना पेढीनायक पिता शेठ नत्थु गांधीनो स्वर्गवास थयो, व्यापारमा नुकशान आववा लाग्युं, जळमार्गी For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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