Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 254
________________ २४४ अनुसन्धान-७१ विदेशभरना मित्रो-अभ्यासीओ साथेनां स्मरणो कहे - ज्ञानगोष्ठिनी आगळपाछळ बधे ज गम्मत-गोष्ठि चाले. ढांकीसाहेबनी प्रतिष्ठा जेवी ज्ञानी विद्वाननी ओवी ज भुलकणा विद्वाननी पण. क्यारेक तो - क्यारेक शुं, घणुंखरूं तो अना ओ ज रसिक विनोदी किस्सा, श्रोताओने कण्ठस्थ थई गयेला ओकना एक हळवा टूचका तमे अनेकवार सांभळता हो. पण ओ आवर्तनोनी लिज्जत पण ओवी ज. अने आ तमे रुबरु मळो त्यारे ज नहीं, फोन पर पण ओ ज रसिक विनोदनी आवृत्तिओ... मित्रो साथे पण तमे ओ ज ताजी प्राचीनताओ वहेंची शको. पण, जेवी ढांकीसाहेबनी आ वक्तव्य-रसिकता अवी ज, मळ्यानी उष्मा ने सतत बधांने मळवानी तरस. मळवा जाओ के फोन पर वात करो त्यारे पहेलां तो ओमनुं मजाकियुं ठपका-वचन सांभळवू पडे. - 'अगस्त्य ऋषिना वंशज' ओ अमनो लोकोक्ति जेवो थई गयेलो ठपको. पण पछी आंखमां, ने फोन पर अवाजमां, स्नेह अने उष्माभर्यु स्वागत. अमने खबर पडी के ओमनी जेम हुं पण मीठाई-रसियो छु - पछी तो मारा नास्तामां मीठाईनो टुकडो घणुंखरं होय ज - मु. गीताबहेनने पण ओ बराबर याद रहेढुं. ___ तमे थोडीक वार बेसो अथी अमने धरव न थाय. अमनो अनुभव-भण्डार खूटे मेवो न हतो ने विनोदवृत्ति सतेज. एटले, तमने बोलवा पण न दे, ने ऊठवा पण न दे ! छतां, वारंवार अमने मळवा जवा ने फोन करवानुं गमे. मन्दिर-स्थापत्य-अध्ययननो अमनो आगवो इलाको. पण से पूछीपूछीने कढाववू पडे. संस्कृत-प्राकृतनी झीणी शब्दचर्चा पण करे. हुं भूतान जई आव्यो पछी एकवार अमने पूछ्युं, के ढांकीसाहेब, सफेद चीवरवाळा ने शमनो प्रबोध करनारा बुद्धना धर्म-सम्प्रदायमां आ स्तूपो-विहारो-झांगर्नु उत्तम स्थापत्य आटला विविध अने तेजस्वी (ब्राइट) रंगोवाळं केम ? ओमने अनी तिबेटपरम्परानी रसप्रद वातो कहेली. 'प्रत्यक्ष'मां कोई पुस्तक विशे आकरी समीक्षा आवे त्यारे कहे के आटलुं तीव्र टीकात्मक आ बधा केम लखे छे ? अमनो इशारो अमना प्रिय शिष्य हेमन्त दवे तरफ पण खरो. में कह्यु, 'ना ढांकीसाहेब, ओ टीकात्मक नहीं पण वास्तविक विवेचन छे. तमे प्रतिष्ठित लेखक कहो छो ओ ज्यारे साव नबळु लखे त्यारे अना पुस्तकनी टीका थाय तो अमां आकरुं शुं छे ?' अमर्नु मन बहु माने

Loading...

Page Navigation
1 ... 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316