Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 256
________________ २४६ अनुसन्धान-७१ राह जोवाना. छेक अहीं आवीने फोन करीने पाछो जाउं ओ केवं लागे - ओवी लागणीमां पगथियां चडवा मांड्यो. पहेले माळे जई पाछो ऊतरवा जतो हतो, पण खबर नहीं केम, पाछो चड्यो - माळे, अरधे माळे, अटकतो अटकतो चडी गयो. मळ्यानो आनन्द तो आव्यो पण पछी, नीचे उतरतां एक एक पगथिये पग हिसाब मागता हता. गीताबहेनना अवसान पछी मळवा गयो त्यारे ओ बाळकनी जेम रडी पडेला. बहेन अमनो मोटो, ने एकमात्र आधार हतां. पण हसमुखां अने वत्सल. जईओ त्यारे बारणुं खूलतां ज पहेलु उष्माभर्यु स्वागत अमर्नु पामीओ. अमना गया पछी, बीजा कोई दरवाजो खोल्यो त्यारे अंदर एक धक्को वागी गयेलो. थतुं हतुं के जीवनसाथीना गया पछी ढांकीसाहेब केटलुं ने केवी रीते टकशे ! ओ पछी तो अमनी तबियत अनेकवार बगडी - होस्पिटलोमां दाखल करवा पड्या. हेमन्त अने पीयूष (ठक्कर) सात काम पडतां मूकीने य दोडी जता. छेल्ला केटलाक महिनाथी माराथी न जवायेखें. ओमना सूवाना रुममा प्रवेशी त्यारे गरम टोपी पहेरेला ने शाल ओढेला ढांकीसाहेबनो मासूम, प्रसन्न चहेरो देखाय. एकवार में कहेलुं, 'आ तमारो युवान वयनो फोटोग्राफ न जोयो होय तो पण लागे के तमे सोहामणा हशो. हशो शुं, छो ज.' से हस्या - 'हवे मश्करीपात्र पण थया !' में कह्यु, 'ना, खरुं कहुं छु, आइ मीन इट.' ने अमना हाथ मारा हाथमां लीधा. ____ओ उष्मा हजुय हाथमां अनुभवाय छे - अ प्रखर विद्वाननी तेजस्विता आ उष्माने मार्गे ज मनमां प्रसरती रहेशे. १८, हेमदीप सोसायटी, दीवाळीपुरा, जूनो पादरा मार्ग, वडोदरा-३९०००७ ramansoni46@gmail.com (मो.) ९२२ ८२१ ५२७५

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