Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 302
________________ २९२ अनुसन्धान-७१ टिप्पणी करी छे. सर्वधर्मसमभावमां मानता सम्पादकोए आ बाबतनो खास निर्देश करी एने वखोडी काढी छे. आ पुस्तकमां आपेलुं बीजुं स्तोत्र भयहरस्तोत्र (अपरनाम नमिउणस्तोत्र ) छे. रामपुत्त के रामगुत्त ए नामनी चर्चा एमणे सूत्रकृताङ्गना सन्दर्भमां करी छे अने बताव्युं छे के ए व्यक्तिनुं नाम रामगुत्त (सं. रामगुप्त) नथी के नथी एनो सम्राट समुद्रगुप्तना रामगुप्त नाम धरावता पुत्र साथे कोई सम्बन्ध. ए पालि साहित्यमा आवता रामपुत्त (सं० रामपुत्र) छे जेमणे भगवान बुद्धने योगनी प्रविधिओ शीखवी हती. एमनुं नाम प्राचीन निर्ग्रन्थ कृति इसिभासियाइं मां पण जोवा मळे छे (जैन अने ढांकी १९८७) ___ जैन धर्मना बावीसमा तीर्थङ्कर अरिष्टनेमि मथुराना हता अने एमनो समय महावीर पूर्वे ८४,००० वर्षनो हतो एवा धार्मिक मताग्रहने आधारे केटलाक विद्वानोए, मथुराना आसपासना प्रदेशमां शौरसेनी प्राकृत बोलाती होवाने कारणे, निर्ग्रन्थ धार्मिक साहित्यनी रचना मूळे शौरसेनी भाषामां थयेली अने पाछळथी एनो अनुवाद अर्धमागधीमां करवामां आवेलो एवो नवीन अने सर्वथा आश्चर्यप्रेरक मत रजू करेलो. पुरातत्त्व अने इतिहासना सन्दर्भमां शौरसेनी भाषानी प्राचीनता ए लेख ढांकीसाहेबनो पुण्यप्रकोप केवो होय तेनुं निदर्शन पूरुं पाडे छे. आ ग्रन्थो ई० पू० ८४,०००मां रचायेला एवा मतनो तेवो विरोध करतां जणावे छे के ए समये मनुष्य पथ्थरयुगमां जीवतो हतो अने संस्कृतिनुं नामनिशान नहोतुं. पूर्वपक्षनी दलीलने आगळ धपावतां तेओ सोपहास लखे छे : यदि अरिष्टनेमि जिन का उपदेश शौरसेनी में रहा ऐसा माना भी जाय तो क्या अनगिनत अरबों साल पूर्व माने जानेवाले तीर्थङ्कर ऋषभ जिन का जन्म अयोध्या में हुआ था, तब क्या उनकी भाषा पुरानी अवधि [ अवधी ] थी ? और बनारस में जिनका जन्म हुआ था वह अर्हत् पार्श्व का उपदेश क्या पुरानी भोजपुरी में था ? तेओ ए बाबत उपर पण आपणुं ध्यान दोरे छे के मथुरा प्रदेशमांथी मळेला अनेक अभिलेखोमां क्यांय शौरसेनी भाषानो प्रयोग थयो नथी ! ____ जटासिंह नन्दिना वरांगचरित नो समय ए कृतिमां आवता निर्देशोजिनप्रतिमाने चन्दन, कुङ्कम, पुष्पादि अर्पण करवां-ने आधारे तेओ बतावे छे के

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