Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर-२०१६
२९३
एना कर्ता दिगम्बर सम्प्रदायना न होई शके; बलके श्वेताम्बर सम्प्रदायना पण न होय कारण के ए सम्प्रदायमां पण ई० स० नी दसमी सदी पूर्वे आ प्रकारनां पूजा-अर्चन नहोतां. बीजुं, जटासिंहने मते देवलोक किंवा कल्पोनी संख्या बारनी छे; दिगम्बर परम्परामां पूज्यपाद देवनन्दिना समयथी लईने आ कल्पनी परिगणना. सामान्य रीते, तत्त्वार्थसूत्र ना विरल अपवादने बाद करतां, सोळनी करवामां आवी छे. आ बतावे छे के जटासिंह कां तो यापनीय सम्प्रदायना होय अथवा तो क्षपणक (ढांकी १९९२).
हरिवंशपुराण मां जिनसेनना पार्वाभ्युदय नो सन्दर्भ आवे छे. पार्वाभ्युदय नी छेल्ली कण्डिकामां राष्ट्रकूटनरेश अमोघवर्षनो उल्लेख छे. जिनसेननी अन्य कृतिओना सम्भवित समय नक्की कर्या बाद तेओ एवा निष्कर्ष उपर पहोंचे छे के पार्वाभ्युदय नी रचना आशरे ई.स. ८१५-८२० दरम्यान थई होवी जोईए. अने जो एम होय तो ई.स. ७८४मां रचायेला मनाता हरिवंशपुराण मां जिनसेननो जे निर्देश छे तेनो शो खुलासो ? ढांकीसाहेब बतावे छे तेम हरिवंशपुराण मां आठमी सदीनी छेल्ली पचीसीमां विद्यमान इन्द्रायुध, वत्सराज, जयवराह, वल्लभ सरखा राजाओनो निर्देश छे ते स्पष्ट करे छे के ए पुराण ई.स. ७७५-८०० दरम्यान रचायु होवू जोइए. एटले के एनी मनाती ई.स. ७८४नी मिति खोटी नथी. आ उपरथी तेओ एवा तारण उपर पहोंचे छे के पुराणने अंते तेर पद्योमां महान जिन विद्वानोनी अने एमनी कृतिओनी जे माळा गूंथवामां आवी छे ते प्रक्षिप्त छे अने घणे भागे ते पार्वाभ्युदय नी रचना बाद, संभवतः ई.स. ८५० बाद, हरिवंशपुराण मां दाखल करवामां आवी हशे. ___ढांकीसाहेबनो एक अन्य शोख वनस्पतिओनो. एमां पण तेओ ऊंडा ऊतरेला. एमना जूई अने भुंगलपुष्पादि वर्गनी वनस्पतिने लगता लेख एमनी रसिक विद्वत्तानी एक जुदी ज बाजु रजू करे छे. अंग्रेजी नाम ट्रम्पिट क्रीपर उपरथी तेवो नवो शब्द घडी काढे छ : भुंगललता. गुजरातीमां नवा शब्दोना घडतरमा ढांकीसाहेब खास रस लेता. एमणे अंग्रेजी बोडी लेंग्विज माटे वपुवाचा (पहेलां वपुभाषा) शब्द मूक्यो; इस्थेटिक्स माटे राजकारण अने अर्थकारण उपरथी रसकारण एवो पर्याय रच्यो; फेन्टसी माटे काल्पनिका अने ससपेन्स (थ्रीलर) माटे रहस्यिका शब्दो आप्या.

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