Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 299
________________ ओक्टोबर-२०१६ २८९ चिकित्सक पद्धतिनी मददथी एमणे जैन धर्म अने साहित्यना इतिहासने वळगेलां दंतकथाओ. अर्धसत्यो के शंकाओनां घणां जाळां साफ कर्यां छे. केटलांक उदाहरणो जोईए. नमस्कारमङ्गल उपरनी नोंधमां तेओ बतावे छे के आ मन्त्रमा हाल जे नव कण्डिका जोवा मळे छे ते ई० स० नी छट्ठी सदीथी वधु प्राचीन नथी. अभिलेखना अने साहित्यना पुरावाओ टांकीने तेओ जणावे छे के मूळमां केवळ एक ज पद हतुं : नमो अरहन्तानम्, जे महाराष्ट्रना पाले अभिलेखमां जोवा मळे छे. समयान्तरे एमां बीजा नमस्कार उमेराया (जेम के खारवेलना अभिलेखमां 'नमो अरहन्तानम्'नी साथे 'नमो सिद्धानम्' एम छे), अने छेवटे एनुं आजनुं नव पदवाळु रूप अस्तित्वमां आव्यु. एटलेथी न अटकतां तेओ आगळ दर्शावे छे के निर्ग्रन्थ परम्परामां भगवान महावीर पछी कोईने अर्हत् पद अपायुं नथी. पण खारवेलना हाथीगुम्फा अभिलेखमां ए गुफा 'अर्हतो' माटे कोरावी होवानो स्पष्ट निर्देश छे. एनो अर्थ ए थयो के जैनोनो ए कोई जुदो पंथ होवो जोईए, घणे भागे तो भगवान पार्श्वनो. पाश्वनो एटला माटे के एमनो सम्प्रदाय भगवान बुद्धनी जेम मध्यममार्गनो हतो, महावीर जेवो अत्यन्त कठोर नहीं. ए ज रीते, पालेनी गुफा पण अर्हत् इन्द्ररक्षिते खोदावेली. आ प्रकार गुफा तैयार कराववानुं कार्य महावीरना अनुयायीओ माटे सर्वथा अविहित होई आ इन्द्ररक्षित पण कोई महावीर-इतर मार्गनो होय-मोटे भागे तो कलिंगमा जे जैन पन्थ हतो तेनो ज-ते घणुं शक्य लागे छे.३ .. जैन साहित्यना इतिहासमां ढांकीसाहेबे तर्कपुरःसर आंकेला विविध जैन विद्वानोना समय अन्य जैन विद्यावन्तो माटे क्षोभर्ने कारण बन्या छे; स्वामी समन्तभद्रनो समय एजें एक उदाहरण. स्वामी समन्तभद्र एटले दिगम्बर सम्प्रदायना सौथी घुमान विद्वानोमांना एक. एमने आम तो ई० स० नी पहेलीथी आठमी सदी सुधी मूकवामां आवे छे छतां, बाल्सेरोविच नोंधे छे तेम, एमना ३. रस धरावता वाचको गुस्ताफ रोटना नमस्कारमङ्गल विशेनो लेख पण वांची शके (रोट १९७४). पालेना अभिलेखनी जाणकारी न होवाथी रोट लखे छे के, "lo riginally, there existed in the centuries before Christ the sacred formula consisting of only two members, represented by the above-quoted inscription [scil. of Kharavela]' (१९७४ : १८)

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