Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 288
________________ २७८ अनुसन्धान-७१ क्यां आडे आवती हती ? वळी आसपास शं बनी रह्यं छे तेनी जाणकारी मेळववा हमेशां आतुर रहे. केटलीय वार फोनमा पहेलुं वाक्य ज होय'धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे-साहित्यक्षेत्रे - शुं चाली रह्यं छे ? अने पछी सलाहसूचन आपता रहे - जो जो, बिनजरूरी विवादोमां घसडाई न जता, भूलेचूके पण राजकारणनी दिशामां जवानो विचार ज न करता. आ समय जवाहरलाल के सरदार पटेलनो रह्यो नथी. बधुं बदलाइ गयुं छे.' मूल्यहासनी तेमने भारे चिन्ता हती. ए रीते जोइए तो तेओ प्रशिष्ट परम्पराना आग्रही हती. अने ए आग्रह एकेएक क्षेत्रमा तेओ राखता हता. समयना फेरफारोनी साथे आपणी बदलाई रहेली जीवनपद्धति, खाणीपीणीनी तेओ वारेवारे टीका करता हता. आजे लग्ननी जे बधी रीतरसमो बदलाई गई छे, जे रीते उतावळे उतावळे बधुं आटोपी देवाय छे, पतावी देवाय छे तेनी सामे तेमने भारे वांधा हता. एटले रूबरूमां के फोन पर, पोताना समयनी जाहोजलालीनी, ए वैभवनी वातोमां सरी जता अने कदाच पोतानी आंखो समक्ष ए जूनां दृश्योने खडां करी देता हशे. एमने अवारनवार कह्यु पण हतुं के तमे तमारा समयनी आटली बधी वातो करो छो तो ए लखता केम नथी. चन्द्रवदन महेताए 'बांध गठरिया'मां, धनसुखलाल महेताए-ज्योतीन्द्र दवेए ‘अमे बधां' मां ए आखो भूतकाळ केटली असामान्य सूझबूझ साथे खडो करी आप्यो छे. एवी रीते तमे पण तमारा वीती गयेला समयनी वात करो. में एटली हदे कहेलु के तमे एक बे वार्ता नहीं लखो तो चालशे, पण आ संस्मरणो नहीं लखो ते नहीं चाले. वच्चे वच्चे कहे खरा के तमारी वात मानीने ए बधुं लखवानुं शरु कर्यु तो छे. नवीनता, आधुनिकता, प्रयोगो सामे ज्यारे तेमनो भ्रूकुटिभंग थाय त्यारे पण क्यारेक तेमने आधुनिकतानां जमा पासां पण कहेतो हतो. नवा संगीतकारो तेमनी अपेक्षाओने सन्तोषी शकता नहीं. नवी सिनेअभिनेत्रीओ तेमने बहु छीछरी लागती, नवां सिनेगीतो सामे पण एमनो रोष भारे हतो. तेमणे एक दिवाळीअंकमां मेलोडी की मौत - नामे लेख प्रगट कर्यो हतो. ए माधुर्य, ए गरिमा अदृश्य थइ गयां तेनो वसवसो तो आजनी तारीखे पण केटला बधाने छे ? अनेक विद्याशाखाओमां आटली बधी निपुणता प्राप्त करी अने छतां एनो कशो भार न हतो, सामी व्यक्तिने पोतानी विद्वत्ता वरतावा न दे अने सहज रीते

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