Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 293
________________ ओक्टोबर २०१६ लखाणोमांथी उपसती एमनी लाक्षणिकतानी चर्चा करी छे. एमनुं प्रथम प्रकाशन गुजरातीमां, १९५७मां, अने ए सौराष्ट्रनी लोककळाओ विशे. आ नानकडी नोंध एटला माटे अगत्यनी छे के ए एक रीते एमणे पाछळथी कच्छ अने सौराष्ट्रना मोतीभरत अने भरतकाम विशे खूब विगते करेला कामनो आपणने पूर्वाभास आपे छे (ढांकी १९६६; नाणावटी, वोरा, ढांकी १९६६). ए पछी पांच वर्ष सुधी एमनुं गुजरातीमां कोई प्रकाशन नथी. आ समय दरम्यान एमणे एक पछी एक अंग्रेजीमां भोंय भांगनारा शोधलेखो प्रगट कर्या, जे आजे पण भारतीय देवालय स्थापत्यना अभ्यासमां सीमाचिह्नरूप मनाय छे : ध क्रनोलजी अव ध सोलंकी टेम्पल्झ अव गुजरात (१९६३), ध सीलिंग्झ अव ध टेम्पल्झ अव गुजरात (१९६३), अने ध मैत्रक एन्ड सैंधव टेम्पल्झ अव गुजरात (१९६९; आ लेख मूळे १९६० - ६१मां लखायेला). १९६२ बाद एमणे गुजरातीमां नियमित रीते पोतानी कलम चलावी. आ लेखोमांना केटलाक पाछळथी एमणे पोते अथवा एमना विद्यार्थीओए अंग्रेजीमां अभ्यासलेखो तरीके के ग्रन्थ तरीके विकसावेला. जेम के, बृहद् जाळीओ एमना विशेना ग्रन्थनां मूळियां छेक १९६३मां लखेला एक लेखमां जोवा मळे छे (नाणावटी अने ढांकी १९६३); ए ज रीते, एमना 'भूतझ एन्ड भूतनायक' ए अभ्यासलेखनी पूर्वतैयारी एमना 'भूतनायको' ए लेखमां जोई शकाशे (१९६९); तो 'गुजरातनी तोरणसमृद्धि' एमनो लेख एमनां पीएच० डी० नां विद्यार्थिनी अने जाणीतां कलाइतिहासकार पारुल पंड्या - धरना तोरण विशेना ग्रन्थनुं निमित्त बने छे (ढांकी १९६५). आ बतावे छे के एमणे समयना लांबा पट उपर रस अने सातत्यथी एमना मनगमता विषयो उपर कार्य करेलुं. २८३ शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीए जैन मंदिरोना जीर्णोद्धारनुं जे उत्तम कार्य कर्तुं तेनी जेटली प्रशंसा करीए तेटली ओछी. पण आ पेढीए मात्र मन्दिरोना नवीनीकरणथी संतोष न मानतां आ तीर्थस्थानो विशे अने एना कलास्थापत्य विशे सामान्य जनताने आधारभूत जाणकारी मळी रहे ए माटे ढांकीसाहेब जेवा अधिकारी विद्वान पासे खास परिचयात्मक पुस्तको पण तैयार करावडाव्यां. शत्रुंजय, उज्जयंतगिरि (गिरनार), आरासण (कुंभारिया), तारंगा, देलवाडा, राणकपुर, जेसलमेर, वरकाणा अने मेवाडनी तीर्थत्रयी जेवां आ

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