Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर २०१६
पर्यालोचना पछी लेखको एवा निष्कर्ष उपर पहोंचे छे के चौदमी सदीना अन्ते प्रभासपाटणमां चन्द्रप्रभचैत्य उपरांत चार जिनमन्दिरो अस्तित्व धरावतां हतां. जेम अन्यत्र तेम अहीं पण आ मन्दिरो कालदेवता सामे अने आक्रमणकारोनी मूर्तिभंजकताना झनून सामे टकी शक्यां नथी, नाश पाम्यां छे. आ तोडी पडायेलां मन्दिरोनो काटमाळ आ ज प्रदेशमां आवेली मस्जिदोमां प्रयुक्त थयेलो जोई शकाय छे. आ मस्जिदोना बारीक निरीक्षणने आधारे, शिल्प अने स्थापत्यना अवशिष्ट अवशेषोना झीणवटभर्या अभ्यासने आधारे अने साहित्यिक स्रोतोना चिकित्सक वाचन परिणामे लेखको बतावे छे के भगवान पार्श्वनाथने समर्पित मन्दिरना अवशेषो जामा मस्जिदमां (लेख १६, पट ११), आदिनाथ देवालयना अतिभव्य वितान सहितना भाग माईपुरी मस्जिदमां (एज, पट ५ ), नेमिनाथ मन्दिरना विविध हिस्साओ चोगान मस्जिदमां अने ई० स० नी १२-१३मी सदीमां समरावायेला दिगम्बर मन्दिरनो केटलोक भाग पानवाडी मस्जिदमां जोई शकाय छे. संशोधनपद्धतिनी रीते आ लेख नमूनेदार छे तेवुं कोई पण स्वीकारशे.
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गुजरात इस्लाम अने आरबोनुं स्वागत करनारा प्रथम प्रदेशोमांनो एक, ए जाणीतुं छे. सहिष्णु अने कहेवाती 'वेपारी बुद्धि'वाळी प्रजाओ आ नवा धर्मनां आस्थास्थानो माटे जमीन तो आपी ज, पण साथे साथे आवां इबादतखानाओना स्थापत्य, एनां विधानो, शैली इत्यादिने लगती माहितीनो समावेश एना वास्तुग्रन्थोमां निःसंकोच कर्यो हतो. ढांकीसाहेबनो वास्तुशास्त्रोनो ऊंडो अभ्यास सुख्यात छे अने ए अध्ययनना प्रकाशमां एमणे भारतीय नागरिक तेमज धार्मिक स्थापत्यनो जे रीते अर्थ करी बताव्यो ते पण जाणीतुं छे. 'मारु - गुर्जर वास्तुशास्त्रोमा मस्जिदनिर्माणविधि' ए लेखमां छेक अगियारमी - बारमी सदीना पश्चिम भारतना वास्तुग्रन्थोमां एतद्देशीय स्थपतिओए मस्जिदरचनानी प्रविधि 'रहमाणप्रासाद' अथवा 'रहमानसुरालय'ना नामे केवी रीते सांकळी लीधी हती ते तेओ दर्शावे छे (१९६९). जयपृच्छा जेवा दुर्घट ग्रन्थमां आपेला मस्जिदनिर्माणविधिने लगतां पद्योनो अभ्यास करीने गुजरातनी सौथी प्राचीन मस्जिदो - खंभातनी जामा मस्जिद अने धोळकानी हिलाल खां मस्जिद-साथे तुलना करीने तेओ एवा तारण उपर पहोंचे छे के आ कृति ई० स० नी तेरमी
१. आ मस्जिदमां हिंदु देवालयोना पण पुष्कळ अवशेषो जोई शकाय छे.

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