Book Title: Anusandhan 2016 12 SrNo 71
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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२३२ .
अनुसन्धान-७१
आटलो. अहोभाव जोई हुं तो गद्गद् थई गयो. ओंचिता कच्छी भाषाना केटलाक रमूजी शब्दप्रयोगो तेमने याद आवी गया ते संभळावी मारी पासे खराई करावी के हुं जे अर्थ करूं छु ते साचो छे ने ? आनु मूळ संस्कृतना आ शब्दमां छे. तेमनी विद्वत्तामांथी ज निपजेली तेमनी आ नम्रता मारा हृदयने झङ्कृत करीगई. मारा भागे तो 'साहेब !' कही हाथ जोडवानुं ज शेष रहेखें.
__ आ दिवसोमां मने सौथी वधु स्पर्शी गयो होय तो ते आ.वि. शीलचन्द्रसूरिजीनो ढांकीसाहेब माटेनो आदरभाव. आटला मोटा विद्वान आचार्य भगवन्त एक गृहस्थ माटे आवो स्वस्थ आदरभाव धरावे ते मारा माटे बहु मोटी घटना हती. साहेबना मनमां जेमनुं आटलुं सन्मान होय ते आपणा माटे तो पूज्य ज गणाय ओम मानी हुँ पण ओमनी आगळ-पाछळ फर्या करतो. आ.वि. सूर्योदयसूरिजीनी प्रेरणाथी अपातो 'हेमचन्द्राचार्य चन्द्रक' तो तेमने अपाई चूक्यो हतो; पण मारे मन अनाथी पण मोटुं सन्मान आचार्य शीलचन्द्रसृरिजीओ अमर्नु कराव्युं होय तो ते हतुं तेमना वरद हस्ते शासनसम्राट-भवन- करावेलुं लोकार्पण. प.पू.आ.वि.नेमिसूरिजी जेवी विरल विभूति-ऋषिना नाम साथे जोडायेल शासनसम्राट- भवन- लोकार्पण ऋषितुल्य ढांकीसाहेबना हस्ते करावी आचार्यसाहेबे समाजने तेमना स्थानमाननो परिचय कराव्यो हतो. आ घटनाथी आचार्यमहाराजे औचित्य- एक उत्कृष्ट उदाहरण पूरुं पाड्युं हतुं. आ धन्य क्षणोना साक्षी बनता में अनुभवेलुं - अकिंचन हाथे निर्लेपभावे थतां लोकार्पणने माणेलुं-पोताना गुरुना भवनगुरुतुल्य व्यक्तिना हाथे लोकार्पण थतुं जोई हर्षभीनी थती आ.वि.शीलचन्द्रसूरि महाराजनी आंखोनुं दर्शन.
आ क्षणे ढांकीसाहेब माटे तो मान उपजे ते स्वाभाविक हतुं. पण मारे निखालसभावे स्वीकारवू जोई के त्यारे आचार्य शीलचन्द्रसूरि प्रत्येनो मारो भाव अनेकगणो वधी गयो हतो. मोटा माणसना होवा जेटलुं ज अगत्यनुं छे तेमना ओळखनार- होवू. सद्नसीबे आपणी वच्चे आवा आचार्य भगवन्त जेवा हीरापारखु छे, नहितर कदाच खूणामां बेसीने झीणुं कांतता ने चूपचाप काम करी सरकी जता आवा लोको आपणी वच्चेथी जता रहे त्यां सुधी तेमने आपणे ओळखी न शकीओ अq पण बने.
केटकेटलां क्षेत्रोमां ढांकीसाहेब- प्रदान ! पुरातत्त्व, स्थापत्य, शिल्प, संगीत, जैन शास्त्रो, इतिहास ने ओवा तो कंई केटलाय विद्याप्रदेशोने तेमणे सर

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