Book Title: Anusandhan 2003 07 SrNo 25 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 5
________________ अनुक्रम १. श्रीसिद्धसेनसूरि रचित सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १ _ 'सिद्धमातृका' प्रकरण मुनि धुरन्धरविजयजी २. श्रीमुनीश्वरसूरिकृत प्रमाणसारः ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १८... ३. श्रीराणभूमीशवंशप्रकाशः सं. मुनि कल्याणकीर्तिविजय ४४ ४. भुवनहिताचार्यकृत : . सं. म. विनयसागर ५३ चतुर्विंशतिजिनस्तवनम् ॥ ५. मुनि भुधररचित सरस्वती बार मासो ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ५९ ६. श्रीदयाकुशलकृत लाभोदय रास ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ७. श्रीमुनिचन्द्रसूरिगुरुगुणगहुंली ॥ सं. आ. प्रद्युम्नसूरि ८. वाचक मुक्तिसौभाग्यगणि कृत डॉ. अभय दोशी स्तवनचोवीसी ९. विहंगावलोकन मुनि भुवनचन्द्र १०. पत्रचर्चा : महोपाध्याय सहजकीर्ति म. विनयसागर १०३ ११. स्वाध्याय : श्रीमद्हरिभद्राचार्यरचित स्वोपज्ञवृत्तियुत पञ्चवस्तुक प्रकरणमांथी पसार थतां जडेलु विजयशीलचन्द्रसूरि १२. ढूंक नोंध : (१) जैन धर्म विशे भ्रान्त धारणाओ (२) 'पतियाला' ना राजमहेलमां जैन भीतचित्र (३) ते धन्ना० स्तोत्र विषे १०६ -x Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 116