Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 403
________________ शब्द .. २३. २५९ २९० अंगविजार सहकोसो पत्र शब्द पत्र शब्द भोयवति साधयति २४२ ओहसित उपहसित ८१-२१५ कडिकतोरण कटिकातोरण १३६ ओरम्भिक कर्माजीविन् १६१ ओहास उपहास ७ कडिगेजझक कटिग्रासक २४९ ओराणी आभू. ७. ओहिजंत अपजिहियत् ८१ कडित कटित-कटयुक्त ओरिक अवरिक्त १४८ ओहित अपहृत अवहित ३४ कडीगहितरत १८४ ओरुज्झ अवरुह्य ३९ ओहीण अपहीन ४६ कडुकालमच्छ ओरुभंते अबरोहति सप्तमी एक. ३३ कडुमाय चतुष्पद ओरूढ अवरूढ १४८ ककाडिका कृकाटिका ६६-११२.१२१ कडूकीका वृक्षजाति ओरेचित अपरेचित १४८ ककितजाण गोत्र १५० कवित कृष्ट १४८ कढ ओलकित अवलगित? १४८ ककी पक्षी? २३९ गोत्र १५० कढिणधातुगत ओलमित? क्रिया. २३५ ककुटुंडि भाण्ड २१४ १३३ कणलीकत? ओलंबित भवलम्बित १४८ कक्कडी मत्स्यविशेष १८३ कणवीर गुल्मजाति ६३ ओलोएंत अवलोकयत् ४२ कक्कय गुडविशेष १८२ कणवीरका कनीनिके ९३-१२५ ओलोकित अवलोकित १३०-१७१ ककरपिंडग भोज्य २४६ कणिकार कर्णिकार ९० ओलोलित क्रिया. ८५-१६९ कुकुस १०६ कणिल्लिका कनीनिका १२५ ओचट्टित अपवर्तित १६९-१७१ कक्खड कर्कशः १८९ कणेटिका ओवत्त अपवृत्त १६९-१७१ कक्खडाल कण्ण गोत्र १२५-१५० ओवयित अवपतित २५८ कक्खारुक-ग फल ६४-२३८ कण्णकोवग कर्णआभू. ६४ ओवात अवपात १४९-२४९ कक्खारुणी वृक्षजाति ७० कण्णखील कर्णाभू. ६५ गोत्र १५० ओवातसामाणि कचक्खी कचि ओवाताणि क्वचित् १५४ कण्णगूधक कर्णगूथक-कर्णमल: १५५-१७८ परिसर्पजाति कच्छभक भोपातिक ६९ स्थल-जलचर २२७ कच्छभमगर मत्स्यजाति कर्णचूलिका ६६ ओवातिका अवपातिका कच्छा कक्षा २०१ कण्णतिल धान्य १६४ ओवादकर अवपातकर कजूरी खजूरीवृक्ष ७० कण्णपालिक कर्णाभू. ११६ ओवारि कज्जोपक कार्योपग २५४ कण्णपाली कर्णपाली ६६-१२४-१४१ ओवारित अपवारित १४८ कर्णाभू. ६५-१८३ ओबालित क्रिया. १४८ काष्ठ १५ कण्णपुत्तक भङ्ग ९३ ओवास कर्णाभू. १८३ कट्ठ आभू. ६५ कण्णपूरक कर्णाभू. ६५-१८३ ओवुलीक चतुष्पद ६९ कट्ट जलवाहन १६६ कण्णरालक धान्य १६४ ओवेढग __ आभू. ६५ कट्ठखोड दे० काष्ठखोड १५ कण्णलोडक कर्णाभू. ६५ ओवेढिय अपवेष्टित २९६ कट्ठमय आभू. १६२ कण्णवलयक कर्णाभू. ११६ ओसधगिह औषधगृह १३७ कट्रमय पीढं काष्ठमय पीठम् २६ कण्णवल्लीका कर्णाभू. १ ओसधजवागू भाज्य १८१ कटुमुह वाहन १९३ कण्णवीही धान्य १६४ ओसधीपडिपोग्गल १५३ कटुहारक काष्ठहारक ८९ कण्णसकुल्ल अङ्ग १५५ ओसर १३६ कटुंसालुक (कंठमालक) रोग २०३ कण्णाणिब्वहण उत्सव १४३-१४४ ओसरक अपसरक १३७ कट्ठाधिकत कर्माजीविन् १६० कण्णातिमास ओसरित अपसृत १६९ कटेवट्टक कण्ठाभू. १६३ कण्णातिलग तिलकप्रकार २४६ ओसारित क्रिया. १३०-१४८.१७१ कडक-ग स्तहभाभू. ६४-६५-१६३ कण्णापवाहण कन्याप्रवाहन ३५ ओसीसजंमिय अवशीर्षजम्भित ४७ कडच्छकी कडुच्छिका ७२ कण्णायावहण उत्सव १४४ ओसुद्ध क्रिया. १४८-१९७ कडमच्छ श्रीन्द्रियजन्तु २६७ कण्णावासणो अज्झायो १७५-१७६ ओसूतक अवसुप्तक २४९ कडसक्करा वर्णमृत्तिका १०४-२३३ कणिका कर्णाभू. १ उपहत १४८ कडाहक भाण्ड २१४ कण्णिकार वृक्ष ओहत्थहसिय अपहस्तहसित ३५ कडिउपकाणि कटीमाभू. १६३ कणिवल्लीबंध? २०३ - २२८ कण्णचूलिगा कटुतरी वस्त्र ७१ कण्णपीलक कह ओहत Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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