Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 455
________________ له له له له م ه م मेहण مه -- rrrrrrrrr--- वस्थि لا مه له anmom. 000000000 م هه مه له لم ३४२ अंगविजानवमाध्याये विभागशो निर्दिष्टानामङ्गनाम्नां यथाविभाग सङ्ग्रहः अङ्गसंख्या अङ्गानाम सर्वसंख्या भङ्गसंख्या अङ्गनाम सर्वसंख्या भासंख्या भङ्गनाम सर्वसंख्या बाहुपस्स १० २० उत्तम अंग पृ. ९३ १४ यौवनस्थ अंग पृ. ९७ जंघापस्स मत्थक उदर उरुपस्स सीस कडि पादपस्स संख णाभि १६ अनागत अंग पृ.८३ णिडाल कडिपस्स मुहपुरिम कण्णपुत्तक पट्टिपस्स कण्ण णिडालपुरिम पट्ठिमझ गंड लोमवासी कंठपुरिम ओट्ठ हिदयपुरिम दंत जंतुतरपुरिम णासा उरपुरिम [वस्थि]सीस णासपुड बाहुणालीपुरिम कणवीरक वस्थिपुरिम १४मध्यमवयः अंग पृ.९९ अपंग सीसपुरिम बाहा १४ मध्यम अंग पृ. ९४ उदरपुरिम बाहुणाली जत्तुअंतर जंघापुरिम हत्थंगुलीउदर थणतर ऊरुपुरिम हत्थंगुट्ट हियय हत्थ ५० अभ्यंतर अंग पृ. ८४ अंसवीफाणिय पादतलमंतर अंस पाणितलमंतर बाहु थण जंघमंतर २० महावयः अंग पृ. ९९ उरुअब्भतर कक्खभंतर हत्थतल गीवा अक्खिनन् तर १० जघन्य अंग पृ. ९४ वक्खणभंतर १४ २ अंगुट णामिअभंतर पादपण्हि ओ? मेहणमंतर जंघा णासा हितयसमूहन्मंतर गुप्फ णासापुड कण्णब्मंतर २३२ पादहितय गंड णासिकभंतर २४ २ उत्तममध्यमसाधारणअंग पृ.९५ कवोल बाहुणालीम तर भुमकंतर हत्थभंतर २८ २मध्यमानंतरमध्यसा णिडाल सोणिभन्भंतर धारण अंग पृ. ९६ गुदभंतर ३० २ वक्खण मत्थक तर २मध्यमानंतरजघन्यसा २ बालयौवनस्थसाधारणअंग पृ.१०० णिडालभंतर धारण अंग पृ. ९६ वक्खण गीवन्भंतर गोप्फ २ यौवनस्थमध्यमवयःसागंडभंतर १० बालेय अंग पृ. ९७ भुमगभंतर धारण अंग पृ. १०० पार्दगुट्ट जंतुमभंतर पादंगुलि थण उरभंतर गोप्फ २मध्यमवयोमहावयासाउदरभंतर जंघा धारण अंग पृ. १०० पादतल له له له पबाहु لم له له हणु दंत: له rrrrrrrrn. م هه ر له M هه م به هه सिर هه ه ه مه سه له له مه وه जतु Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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