Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 417
________________ शब्द २३० पट्टिक अंगविजाए सहकोसो पत्र शब्द पत्र शब्द धातुजोणीसमुत्थाण २७ पउण्ण वस्त्र ७१ पच्छिमदारिक २०६ धातुमय माभू. १६२ पउमकेसरवण्ण ९० पच्छिमाणि १०९-१२८ धावित धौत १४८ पउली प्रतोली १३७ पच्छिमुत्तरजोणि धिवलागत? ४१ पएणि __ वस्त्र ७१ पच्छिमुत्तरा १२८ भीतर दुहित २१९ पकंठा २२२ पच्छेलित प्रसेण्टित १४६-१७०-१८४ धीतरी , २१९ पकिण्ण प्रकीर्ण १६९-१७१ पच्छोलित प्रच्छोटित १६८ बीता प्रक्रुष्ट २१५ पजाणवं प्रज्ञानवान् ४८ घीया २१९ पक्कासय पक्काशय २०३ पजातिस्सति प्रजनिष्यते .. क्रिया. १४८ पक्खच्छयक पक्षच्छदक ८१ पजायिस्सति १६९ दुहित ५१ पक्खपेंड पक्षपिण्ड ११७ पजोजयिस्सं प्रयोजयिष्यामि ११२ धूतुल्लिक भाण्ड ७२ पक्खडकत पक्षपिण्डकृत १३५ अङ्ग १५५ पक्खवेढाय दोहदप्रकार १७२ धूपगत पक्षवेष्टया ४२ पजणी वर्णमृत्तिका २३३ भाण्ड पक्रवात प्रख्यात १८५ धूमणत्त पज्जायवायग पर्यायवाचक २५ पक्खापक्खि नपुंसकविशेष ७३-२२४ धूमणाली धूम्रनलिका २५४ पजिया प्रार्यिका ६८ पक्खिजोणिय हेयानि ३२ घेताणि पजुवासंतो पर्युपासयन् १९७ पखरगत प्रक्षरगत २३० धोतक? धौतक १०४ पजोवत्त पर्यपवर्त्त २४७ पगति प्रकृति १७३ धोवमाण धावयत् ३८ वस्त्र १६३ पगलेत प्रगलत् ३८ कर्माजीविन् १६० पट्टकार पग्गाहक प्रप्राहक ७९ नत्तिका नर्तिका ६८ पस दोहदप्रकार वन १६४ १७२ नमत भक्खरे पसंत पाठ्यकाव्य १४७ प्रघर्षत् पटकव्व ३९ नलिणी वनस्पति पृष्ठिवंश २१४ पघातण प्रघातन १४८ नहट्टिका भङ्ग १५ पचवण प्रचर्चन १४७ भोज्प पडमट्ट मातुर्माता नानिका ६८ . पचलाइयाणि सत्त पटल २७ नामपग्गह नामप्रग्रह १५१ पचलायणा प्रचलायनात् ४४ पडाका नामिस्वराः १५३ पञ्चउदग्गीय नामिस्सरा पताका १४२ प्रत्युदनीय १६८ नार्याः १७ पडालिका नारीय भाण्ड ७२ पञ्चत्थरण वस्त्र १६४ परिउज्जमाण नाविक कर्माजीविन् १६० प्रतियुज्यमान १९६ पञ्चस्थिमा निच्छोमे निःक्षोभ? १६८ पडिओधुत प्रत्यवधूत १६९ पञ्चवदाण प्रत्यवदान १४७ निमित्त १-२ पडिकम्मगिह दे. श्रेष्ठ १७-१९-९५ प्रतिकर्मगृह १३६-१३८ पञ्चवर निमिल्लिय निमीलित २०६ पडिकम्मघर पञ्चवरजोणि " २२२ निम्मट्ठा ८७ पञ्चंतपाल प्रत्यन्तपाल ९.१५ पटिकुंडित प्रतिकुचित १५४ निरागत क्रिया. २०२ पर्चतवसति प्रत्यन्तवसति प्रतीप्सित १६८-१७० निल्लक्खित निर्लक्षित १७१ पञ्चंतिम प्रत्यन्तिम १६२ पडिछुद्ध प्रतिक्षिप्त १६९-१७१ निम्विगंदि निर्विगन्धि १६१ पञ्चवरकाया प्रतिनामित १७१ नीयम्मुख नीचैर्मुख १४३ साबिजमाण १४३ पञ्चालंबिजमाण प्रत्यालम्ब्यमान १९८ १परिणायित प्रतिनायित १६९ नेमित्तमुपधारणापडलं १३ पञ्चालंबित प्रत्यालम्बित १९८ पडिणिवेसा प्रतिनिवेशात् १८ पच्चाहरणक प्रत्याहरणक ९७ पतित ४४-१६९ पइट्ठियायं प्रतिष्ठितायाम् १९ पञ्चोदार । प्रत्यवद्द्वार ९ पडितविभासा मज्झाय पइभाणव प्रतिभावत् ४ पच्छत प्रच्छद ६४ परिदिण्ण प्रतिदत्त १६९-१७१ पइम्हि पत्यौ १६ पच्छादित प्रच्छादित १४८ पतिपिक्खिया प्रतिप्रेक्षेत १५ पहरिक्क प्रतिरिक्त-शून्य ११९ पच्छिमजोणि १३९ पडिपेक्खिज्ज प्रतिप्रेक्षेत " पइलाइय प्रचलायित ९-१. पच्छिमदक्षिणा १२८ पडिपोग्मल प्रतिपुदल १४०-११ १५३ :::: पट्ठिवंस ५८ ८९ परिच्छित १४९ पडिणामित Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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