Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 429
________________ अंगविजाए सइकोसो १५३ शब्द पत्र शब्द शब्द पत्र वत्थुवापतिक कर्माजीविन् १६० वसवा देवता २०४ वाधुज उत्सव ४०-१२१-१४३-१९० वस्थोपजीविक १६० वसायं वसायाम् ५ वाधुजभंड विवाहभाण्ड १७५ वदंसक अवतंसक १४७ वसुमंतो वसुमान् १०५ वाधेज विवाह १३४ वधुज्ज विवाह १४१ वस्सथर पर्वत ७८ बापण्णा वधूमज्जण वधूमज्जन २५५ वस्सारत्तं वर्षारात्र ६७ वापण्णोपहुता वद्धक आभू. ११६ वंजण व्यञ्जन १ वापद व्यापत् ६१-८० वद्धणक उत्सव ९७ वंजणऽज्झायो १७४-१७५ वापर्दि व्यापदं ८९ वडमाण वर्धमान १ वंजणात व्यञ्जनान्त १५१ वापन्न १२२ वंजुल वन १३७ वप्प वृक्ष ६३ वामगत्तामास २०१ वप्पक बाल १६९ वंत वान्त १७१ वामणक बप्पडी भोज्य २४ वंतं? १० वामदेस वप्पा वप्ता १०७ वंदहे वन्दे ६ वामद्धणाहारा १२८ वप्फति भुनक्ति १०७ वंदिताणि ११-३८-१३८ वामपक्ख वमारक स्थल-जलचर २२७ वंदियविहि ९-१०-५९ वामपार गोत्र १५० वम्मिका आभू. ७१ वाइज्जो वाचयेत् १० वामभाग वय ब्रज १३७-२२२ वाउकाणी वस्त्र ७१ वामसील वयसाधारणा वाउजोणीक वायुयोनिक १४० वामाई ११३-१२८ परिसर्पजाति वाउव्वातिक वरह ६९ वातीत्पातिक १९२ वामाणि ५७-७५-११० धान्य १६४-२२० वाकपट्टिका वल्कपट्टिका वरक १८ वामा धणहरा ५८-११२-१२८ गोत्र १५० वाकल वल्कल ८० वामा पाणहरा ५८-११२ वस्त्र २३२ वरद वामामास रज्जुविशेष ११५ वागरणजोणि ६-१० वामायार वागरणपागड व्याकरणप्रकट वरमजण उत्सव २५५ वामावट्ट वागरणोदधि वराणि ५९ - १२६ - १२८ वामा सोवद्दवा ५८-११२ वागरणोपदेसो अज्झाओ वराहा गोत्र १५० वामिस्स व्यामिश्र ९५-१२८ वाचि वाकेचिक? १४४ वरियगंडिया अरहस्स वामोद्दार्ग णगरं? वाणर पशु २२७ वरिसधर वर्षधर - कञ्चुकिन् १५९-१६० वायुक्काइकाणि वाणाधिगत कर्माजीविन् १६० वरुणक वृक्ष ६३ वायुणेय १२१ वाणियककग्म १५९ वरुणकाइय देवता २०४ वायुमुत्ता कण्ठाभू. १६३ वाणीर गुल्मजाति वलक्ख? १४७ वायेजो वाचयेत् १२९ वात वलभी वायेहिति वादयिष्यति ८४ वातकण्ण देवता २२४ वलुयग आभू. भाण्ड ६५ वातकुरील उद्भिज २२९ वलयवाणिय १०४ वारमट्टि फल २३८ वातगुम्म रोग २०३ वल्लिका कर्णआभू. १८३ वारवाण वातचक्ककमंडल कञ्चकप्रकार ६४ वल्लिपरिपल्लक ? २४० वातपाण २२२ वारंग वृक्ष ६३ वल्लिफल वातमणा ५८-१२३-१२९ वारिणीला गोत्र १५० वल्लीतेल्ल २३२ वातंड रोग २०३ वर्षाकालिक १०१ भोज्य २२० वातंडअरिस विवाह ९८-१३४ ववस्संति व्यवस्यन्ति ११५ वातंदविस प्राणी? २२० वालक? १४२-१७० वसणंतर वृषणान्तर १२५ वातंसु उद्भिज २२९ वालकल्लि भोज्य ७१ व(वा)सवेलिका २४७ वातिक ७३ वालमय आभू. १६२-२१५ वसता ५ वातिंगण फल २३८ " भाण्ड २२१ बृहत् ११४ वागपट्ट * 4: irl. Tillain is in thilta वरत्त १० RUM ma ० 9 ० . वारक वारिस २०३ वारेज " वसया Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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