Book Title: Angavijja
Author(s): Punyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 447
________________ पत्रम् १४८ १८६ १९० १३५ ११५ १७० १७५ ८१-१९५ सिक्खह। धातुरूपम् विलिंपिहिति विलहित विलोकंत विलोचित विवजये विवद्धये विवाडेती विसजेति विसलाइत विसंधित विसिण्ण विसोधह विहत बूहित वेदयति वेदयते वेलंबित वेलंबेति वेवित वोकसित वोच्छं वोच्छामि वोसट्टमाण । ८३ १७१ सुज्झति ૨૪ १०७ ८३ सुणेति १२३ ८३ संचित १२२ २५४ १२१ अंगविजान्तर्गतानां प्राकृतधातुप्रयोगाणां सङ्ग्रहः पत्रम् धातुरूपम् पत्रम् धातुरूपम् ८४ समारोधण १९३ संसरित १०६ समाहरंति १०७ संसावित ४२ समिज्झये __ ५ संसिजमाण ३४ समुद्रुति ८७ संसित ५ समुढेहिति ६७-८० संहरमाण ५ समुदीरेति १०-८७ संहरंत १६९ समुपेक्खिय १४९ संहित १०८ समुस्सवण १९३ सा सं. स्यात् ८० समेहिति सातिज्जित १६८ समोखिञ्च १९५ सातिट्ठिस्सति ३०-८१ सम्मज्जित १०४ सम्महित सिक्खिहिते सिज्झतु १२२ सयते सिंचितालित १४८ ससित १४८ सस्सावित १३३ संकापित ર૪ सु [ग] ते संचिट्टते संचिटिस्सति १७५ सुयित १४८ सुस्सति संजाणति ८३ सुहित संजायते ८३ सूयए २३६ संजोगेति २४६ सूयते २३६ संजोयेति २४६ सेवित्ता २४७ सोभंते संतिट्टिस्सति १७६ सोभिहिते १३० संधावति स्सा सं. स्यात् १४४ संधुत ११५ संपकप्पते १२३ हणति १५२ संपडिपेक्खित्ता ४१ हणे ११५ संपतिवत्तते ८३ हवति १९८ संपधारए ११ हसते ११५ संपरिकिचिय २ हसंत २०० संपवेदये १४ हसित २३९ संपवेदेजो ५५ हसीयमाण १९५ संपादेत ३८ हायति-ते २३५ संपावित १७६ हारित २५८ संपिंडित ११५ हित्थत संपीलित २२-११५ हिसेत ५५ संभवति ८३ हुंडित ८३ संभंत. ३७ हेडित ३७ संविट्ठ १९८ होक्खति ५ संविभावये ३६ होति १६८-१७०: संवेल्लित ११५ होहिति १४८ ६९-८३ ८७ १४८ संतप्पते ૨પ૭ ६ ६ ६ ६ ६ . . ७९ २३५ ३६-१३५ ३५-१४५ सकारित सक्कारेमाण सपिणकासिय सपिणकुहित सण्णिरुद्ध सजिज्जमाण सपणद्ध सदिवारित समक्खात समणुवत्तति समतिकंत समतिच्छिय समभिजाणा समल्लिकंति समाचरे समाणयंत समाणये समाणित a १४८ १४८ १४८ ११८ ८४-२१५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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