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अनेकान्त 66/3, जुलाई-सितम्बर 2013 चाहिये। जरुरतमंद की सहायता और साधुओं की आहार, विहार-निहार की समुचित व्यवस्था करना, “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्रावकाचार की मूल भावनाओं का संरक्षण है।" संदर्भ:
१. सागार धर्मामृत : स्वोपज्ञ टीका - १/१५ २. अभिधान राजेन्द्र कोष : श्री विजय राजेन्द्र सूरीश्वर, 'सावय' शब्द, प्रकाशक- श्री जैन
श्वेताम्बर समस्त संघ रतलाम, सन् १९१३-१४ ३. सावय धम्म दोहा, पद्य ५९ ४. वही, पद्य ५९ । ५. मुनि क्षमासागर : जैन दर्शन पारिभाषिक शब्द कोष प्रकाशक- मैत्री समूह : २००९,
पृष्ठ-३१६ ६. वही, पृष्ठ-३१६ ७. वही, पृष्ठ २०० ८. वही, पृष्ठ १८५ ९. वही, पृष्ठ १८५ १०. वही, पृष्ठ ३४६
- डायरेक्टर, संस्कृत प्राकृत तथा जैन विद्या अनुसंधान केन्द्र, दमोह (म.प्र.) ४७० ६६१