Book Title: Anekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 297
________________ अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013 ५. फ (त्रिलोक जैन चिन्ह)- तीन लोक की आकृति का सूचक जिसके नीचे “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” लिखा रहता है। यह कमर पर दोनों हाथ रखे पुरुष का चिन्ह; जिस पर सिद्धशिला का आकार, रत्नत्रय के सूचक तीन बिन्दु, स्वस्तिक तथा अहिंसा एवं अभय का सूचक हाथ बना रहता है ऐसा चिन्ह वास्तु की दीवाल पर बनाने से मंगल में वृद्धि होती है, समृद्धि आती है। __ आजकल कुछ लोग मुख्य दरवाजे पर चरण पादुकाएं बना देते हैं यह उचित नहीं है।वैसे भी मुख्य दरवाजे पर या मुख्य दरवाजे के सामने जूता-चप्पल आदि नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा संचरित होती है। इसी तरह चौखट पर ऐसे कोई वस्तु नहीं लटकाना चाहिए जो आते-जाते समय सिर को लगे। यह अनावश्यक भय का कारण बनती है। अपने घर में हिंसक जानवरों का रखना, पालना भी उचित नहीं है। गृहप्रवेश मुहूर्त - गृहप्रवेश के लिए चित्रा, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा भाद्रपद, उषा, रेवती, मृगशिर, रोहिणी नक्षत्र उत्तम माने जाते हैं। वार की दृष्टि से गृहप्रवेश के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार अच्छे माने गये हैं। तिथि की दृष्टि से द्वितीया, तृतीया,पंचमी,षष्ठी,सप्तमी, दशमी,एकादशी, त्रयोदशी, गृहप्रवेश के लिए अच्छे माने गये हैं। ___ लग्न की दृष्टि से २, ५, ८,११ उत्तम तथा ३, ६,९,१२ मध्यम गृहप्रवेश के लिए माने गये हैं। लग्न से १, २, ३, ५, ७, ९,१०,११ इन स्थानों में शुभग्रह शुभ एवं ३, ६, ११, स्थानों में पापग्रह शुभ होते हैं। ४, ८, स्थानों में कोई ग्रह नहीं होना चाहिए। घर में प्रवेश के अधिकार - प्रश्न उठता है कि घर में प्रवेश के अधिकारी कौन हैं? जो वास्तु निर्माता है वह घर में प्रवेश का अधिकारी है। किन्तु “न धर्मो धार्मिकैना” की नीति के अनुसार धर्म धार्मिकों के बिना नहीं होता। अतः जिनेन्द्र देव, जिनवाणी और

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