Book Title: Anekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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अनेकान्त 66/4, अक्टूबर-दिसम्बर 2013
१४. वही, ६४८ १५. वत्युविज्जा, मंदिर शिल्प, पृष्ठ-१३० १६. आदिनाथ पुराण, १/१६११४९-१५०/३५९ १७. तिलोयपण्णत्ति १/२८५/१२० १८. तिलोयपण्णत्ति, १/२००/६४ १९. त्रिलोकसार, ५४८/२३९ २०. निर्लेपस्य जिनेन्द्रस्य व्योम मूर्तेर महाध्वरे। ___व्योम केशस्य दिग् भागं कुर्महे दर्भ गर्भितम्।। जिनेन्द्रपूजा विधान, १० २१. तिलोयपण्णत्ति, ३/८/४१०, ४२३, ४१४/५४२ २२. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१८६३/५२० २३. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१८६४/१८६५/५२० २४.तिलोयपण्णत्ति, १/३/१७, २०/२६९,२७० २५. तिलोयपण्णत्ति, ३/५/६६/२५७ २६. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१८६७,१८६८,१८६९/५२१ २७.तिलोयपण्णत्ति, २/४/१९७६/५४२ २८. संस्कृत हिन्दी कोश, पृष्ठ-५२० २९. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१९८१, १९८२/५४३ ३०. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१८७१, १८७२, १८७३/५२२ ३१. तिलोयपण्णत्ति, १/३/१९,२१/२६९, २७० ३२. तिलोयपण्णत्ति, २/४/५४५ ३३. तिलोयपण्णत्ति, २/४/१८७५, १८७६, १८७७, १८७९/५२३ ३४.तिलोयपण्णत्ति, १/२१०/६९
-ला.ब.शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, ५६-५७, इंस्ट्टीयूशनल एरिया, पंखा रोड,
जनकपुरी, नई दिल्ली-११००५८

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