Book Title: Amarbharti Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 7
________________ सुरक्षा की है। प्रवचनों के स्थल एवं प्रसंगों को भी सुरक्षित रखा गया है। यह कार्य श्री विजय मुनि जी शास्त्री के सहयोग के बिना सम्भव नहीं था। मन्त्री सन्मति ज्ञान पीठ सन्मति ज्ञान पीठ आगरा ओम प्रकाश जैन जैन भवन, लोहामंडी वीर तुम्हारे पद-पंकज वीर तुम्हारे पद-पकज' युग, इस धरती पर जिधर चले । चरण-चरण पर दिव्य भाव के, सुरभित स्वर्णिम पुष्प खिले ।। हिंसा, घृणा, वैर कंटक, ध्वस्त बने पीडाकारी । जन-मन में निष्काम प्रेम की, महक उठे केशर - क्यारी ॥ -उपाध्याय अमर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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