Book Title: Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ के बावजूद अपनी ओर से सदा सकारात्मक कदम उठाएँ । जीवन को मधुर बनाने के लिए हम दूसरों का सम्मान करना सीखें । जैसा सम्मान हम स्वयं के लिए चाहते है, वैसा ही हम सभी प्राणियों का सम्मान करने का अभ्यास करें । हम इस बात की शपथ ग्रहण करें कि मैं बिना किसी भेदभाव अथवा पक्षपात के सभी लोगों के जीवन एवं प्रतिष्ठा का सम्मान करूँगा। हम प्रतिदिन एक व्यक्ति में कोई-न-कोई विशेषता अवश्य पहचानें और उसकी अनुमोदना करें । कोशिश करें कि हम प्रतिदिन एक अच्छा कार्य अवश्य करें । जब भी किसी से मिलें, मुस्कुराकर मिलें । कोशिश करें कि हमें जो कौशल प्राप्त है, हम उसे दूसरों को सिखाएँ । पड़ोसियों से प्यार करें और इस तरह अपने इर्द-गिर्द के वातावरण को प्रसन्न और सुरभित होने दें। सदा स्वच्छता रखें और अपने ग्रह की रक्षा करें। जितनी अपनी आजीविका हो, उसका एक अंश जरूरतमंद लोगों एवं कल्याणकारी कार्यों के लिए समर्पित करें, ऐसा करके आप पाएँगे कि हमें केवल कमाना ही सुख नहीं देता, वरन सहयोग भी हमारे सुख और माधुर्य को बढ़ा रहा है । ये जो छोटी-छोटी बातें हैं, अगर इन पर हम पूरा ध्यान दे सके, तो लघुता में प्रभुता बसे, ये छोटी बातें स्वस्थ-संदर और मधुर जीवन के लिए चमत्कारी मंत्र साबित हो सकती हैं । सचमुच, जीवन को हम इस तरह जीएँ कि जीवन स्वयं प्रभु का प्रसाद और वरदान बन जाए। मधुर जीवन के मूल मंत्र १३ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122