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होते हैं । तुम्हें यह पूरा हक है कि अपनी पत्नी के द्वारा कही गई बात पर ध्यान दो, पर इसका मतलब यह नहीं कि अपनी माँ की बात को सुने बगैर सास-बहू के झगड़े में अपने को उलझाओ । किसी भी बिंदु पर अगर ठंडे मिजाज से निर्णय न लिया, तो तुम घाटा खा बैठोगे । अगर अपने मिजाज को शांत-सौम्य न बना सके, तो ध्यान रखो कि दो के झगड़े में तीसरे का घुसना सदा आत्मघातक होता है ।
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चौराहे पर झगड़ रहे दो युवकों में से एक ने कहा, अगर अब कुछ बोला तो मेरा एक घूंसा तेरी बत्तीसी तोड़ देगा । दूसरे ने कहा, जा-जा; अगर मेरा घूंसा पड़ा तो तेरे चौंसठ दाँत तोड़ दूँगा ।
तभी पास खड़े राहगीर ने टोकते हुए पूछा, कि बत्तीस दाँत की बात तो समझ में आती है, पर तू चौंसठ कहाँ से तोड़ेगा । उसने कहा, मुझे पता था तू जरूर बीच में बोलेगा । इसलिए बत्तीस इसके और बत्तीस तेरे !
बेहतर होगा—'तू तेरी सम्हाल, छोड़ शेष जंजाल ।' हम अपनी सम्हालें, अपने मस्त रहें । परिणामों पर भी नज़र रहे
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हम अपने किसी भी सोच अथवा विचार को व्यक्त करने से पहले एक बार उसके परिणामों पर भी गौर फरमाने की कोशिश करें । कहीं ऐसा न हो कि जो सोचा, सो उगल दिया । बोलने से पहले तोलें । गलत बोली का जिसने भी उपयोग किया, उसे बाद में पछताना ही पड़ा । विचारों अथवा वाणी की अभिव्यक्ति ऐसी हो कि वह हमें भी सुख और सुकून दे और अगले को भी । जिसका परिणाम खिन्नता में बदले, उससे बचे हुए रहना ही सहज समझदारी है। वाणी का उपयोग तो तरकश से तीर का छूटना है; एक ऐसी लक्ष्मण-रेखा से बाहर निकलना है जिससे भीतर लौटने का कोई चारा न हो । यदि आज कुछ भी कहते-बोलते वक्त लगा कि यह ठीक नहीं था, तो भविष्य के लिए सावचेत रहने का संकल्प लो । जिसका अंकुश अपने हाथ में होता है, वह मनुष्य कहलाता है, वहीं जिसका अंकुश दूसरों के हाथों में होता है, जानवर उसी का नाम है।
सम्राट मिडास के नाम से हम सभी परिचित हैं, जो कि सोने का पुजारी था । जैसे आपकी आँखों में लक्ष्मी वास करती है, उसकी आँखों में सोने का बसेरा रहता था । वह सुबह उठते ही सोने को पुकारता और रात को सोने से पहले जी भर सोने को निहारता । उसका एक ही मंत्र था— - गोल्ड इज गॉड । कहते हैं: एक बार उसके दरबार में एक ऐसा
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ऐसे जिएँ
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