Book Title: Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 98
________________ आगंतुक पहुँचा जिसने उससे कहा था कि वह मिडास की हर इच्छा को पूरा कर सकता है । मिडास ने उससे कहा कि अगर ऐसा है तो वह यही वरदान चाहता है कि वह अपने हाथों से जिसे छुए, वह सोना बन जाए । आगंतुक ने कहा-मिडास, एक बार फिर से सोच लो। मिडास ने कहा—इसमें सोचना क्या है, यही तो मेरी अंतिम चाहत है। आगंतुक ने कहा- ठीक है मिडास । कल सुबह की पहली किरण फूटने के साथ ही तुम जिसे भी छूओगे, वह सोना हो जाएगा। मिडास की रात बड़ी बेचैनी में गुजरी कि कब सुबह हो और कब सोने की बरसात शुरू हो । आश्चर्य, अगले दिन वह जिस शैय्या पर लेटा हुआ था, उसे छुआ तो वह सोने की बन गई। उसने दौड़कर दीवारों को छुआ तो उसके महल सोने के हो गये। वह खुशी के मारे पागलों-सी हरकत करने लगा। उसने पहाड़ों को छुआ, तो वे भी सोने के हो गये। चारों तरफ सोना ही सोना हो गया। वह सोना बनाते-बनाते थक गया। उसे प्यास लगी । पानी पीने के लिए उसने जैसे ही हाथ बढ़ाया, तो पानी भी सोने का हो गया; जैसे ही उसने भोजन को छुआ, तो वह भी सोने का हो गया । मिडास घबरा उठा। अगर उसके हाथ के छूने से रोटी भी सोने की हो जाएगी, तो वह क्या खायेगा और क्या पीएगा ! वह रो पड़ा। तभी उस आगंतुक ने आकर मिडास से पछा-कहो, कैसा रहा? मिडास ने कहा—अपनी मूर्खता का बोध । क्या हमें अपनी मूर्खता का बोध होगा? सोना जीवन के लिए आवश्यक है, पर रोटी का काम तो रोटी से ही होगा। अपने सोच-विचार के किसी भी पहल के परिणाम पर भी थोड़ा-सा ध्यान दे दें, तो मिडास की तरह पछताना नहीं पड़ेगा । सकारात्मक सोच से जीवन की शुरुआत हो और मंगल क्रियान्विति पर सोच की पूर्णाहुति । सदा स्मरण रखो, फल वहीं होंगे, जैसे उससे जुड़े हुए बीज होंगे। प्रेम के बदले में प्रेम लौटकर आएगा और नफरत के बदले में नफरत । तुम्हारी ओर से कही गई यह बात-आई हेट यू, अनुगूंज बनकर तुम पर ही लौटकर आएगी । तुम्हारी आवाज तुमसे ही कहेगी-आई हेट यू । तुम ज़रा मुस्कुराकर प्यार से कहो-आई लव यू । तुम्हारी खुशी का ठिकाना न रहेगा, क्योंकि तब सारा अस्तित्व तुमसे यही बात बार-बार कहेगा–हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, आई लव यू । शायद दुनिया से आप यही कहलाना चाहते हैं; आई लव यू; आई लव यू । अगर ऐसा है तो हमारी ओर से भी ऐसा ही प्रयास हो, प्रेम का प्रयास हो । स्वस्थ सोच के स्वामी बनें ८७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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