________________ "स्वस्थ और मधुर जीवन का पहला और आखिरी मंत्र है : सकारात्मक सोच / यह एक अकेला ऐसा मंत्र है, जिससे न केवल व्यक्ति और समाज की, वरन् समग्र विश्व की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है / यह सर्वकल्याणकारी महामंत्र है / मेरी शान्ति, संतुष्टि, तृप्ति और प्रगति का अगर कोई प्रथम पहलू है, तो वह सकारात्मक सोच ही है / सकारात्मक सोच ही मनुष्य का पहला धर्म हो और यही उसकी आराधना का बीज-मंत्र / सकारात्मक सोच का स्वामी सदा धार्मिक ही होता है / सकारात्मकता से बढ़कर कोई पुण्य नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई पाप नहीं; सकारात्मकता से बढ़कर कोई धर्म नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई विधर्म नहीं / कोई अगर पूछे कि मानसिक शान्ति और तनाव-मुक्ति की कीमिया दवा क्या है, तो सीधा-सा जवाब होगा - सकारात्मक सोच / मैंने अनगिनत लोगों पर इस मंत्र का उपयोग किया है और आज तक यह मंत्र कभी निष्फल नहीं हुआ / सकारात्मक सोच का अभाव ही मनुष्य की निष्फलता का मूल कारण है।" - श्री चन्द्रप्रभ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org