Book Title: Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 54
________________ जीवन-विकास के नायाब पहलू शिक्षा और स्वाध्याय जीवन-भर विद्यार्थी बने रहें, ताकि ज्ञान-प्राप्ति के द्वार सदा खुले रहें। मानवीय जीवन के मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण आयाम हैं, जिनमें शिक्षा और स्वाध्याय अपनी विशिष्ट भूमिका निभाते हैं। शिक्षा और स्वाध्याय—दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । जीवन के प्रथम चरण में शिक्षा की अहमियत है, किन्तु उसके शेष भाग में स्वाध्याय की अपेक्षा है । ज्ञान तो जीवन का वह पहलू है, जिसका कभी अन्त नहीं है । जो किसी उपाधि-विशेष तक के लिए पढ़ाई करके अपने आपको पूर्ण शिक्षित मान लेता है, तो ज्ञान की दृष्टि से यह उसकी पराजय है । शिक्षित होने का अर्थ यह नहीं कि किताबों को पढ़ लेना या विद्यालयीय परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो जाना । शिक्षित होने का अर्थ यह है कि ज्ञान और विज्ञान के द्वारा अपने बौद्धिक और मानसिक विकास के साथ जीवन के बहुआयामी विकास के लिए समर्थ-सुदृढ़ हो जाना । शिक्षा और ज्ञान का क्षेत्र तो इतना व्यापक है कि व्यक्ति चाहे तो जीवन भर विद्यार्थी और शिष्य बना हुआ रह सकता है। दुनिया में बहुप्रचलित धर्मों में से एक है—सिक्ख धर्म । शायद सरदारों के लिए 'सिक्ख' शब्द उनके धर्म और परंपरा का परिचायक है, किंतु मैं सिक्ख धर्म अथवा सिक्ख कुल में पैदा न होने के बावजूद अपने आपको बड़े प्रेम से सिक्ख कहूँगा। सिक्ख जीवन-विकास के नायाब पहलू-शिक्षा और स्वाध्याय ४३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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