Book Title: Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 51
________________ बावजूद से बहुत ज्यादा ताकतवर नहीं होता । वह जीतता भी बहुत मामूली फर्क से है, पर इसके उसे जो इनाम मिलता है, वह उस मामूली फर्क से सौ गुना ज्यादा होता है । उसकी क्षमता और योग्यता — दोनों ही अन्य धावकों के बराबर होती है, पर इसके बावजूद वही क्यों जीतता है ? तो इसका जवाब होगा, उसका आत्मविश्वास, जीतने की दृढ़ इच्छा-शक्ति और निरन्तर सकारात्मक अभ्यास ही व्यक्ति की विजय के चमत्कारी सूत्र साबित होते हैं । धरती पर ऐसा कौन प्राणी है, जिसमें क्षमता और प्रतिभा न हो । व्यक्ति यदि अपने जीवन में सफलता के कुछ छोटे-छोटे सूत्र अपना ले, तो उसके खेत और व्यापार का, जमीन और जायदाद का, खोज और आविष्कार का, उसके घर और परिवार का स्वरूप ही बदल जाएगा । वह सबका सरताज हो जाएगा । मुखर करें इच्छा-शक्ति जीवन में सफलता के लिए जिस पहले मंत्र की आवश्यकता होती है, वह है व्यक्ति की दृढ़ इच्छा-शक्ति । माना कि जीवन में पलने वाली अनगिनत इच्छाएँ व्यक्ति की चेतना को छिन्न-भिन्न कर डालती हैं, किंतु जब व्यक्ति की समस्त इच्छा-शक्तियाँ एक ही लक्ष्य की ओर उन्मुख हो जाती हैं, तो वे जीवन के लिए वरदान बन जाती हैं । किसी के असफल होने का एकमात्र कारण उसमें दृढ़ इच्छा-शक्ति का अभाव ही है । सुकरात से किसी नवयुवक ने पूछा कि सफलता का राज क्या है ? सुकरात नदी में खड़े थे और युवक किनारे पर । सुकरात ने युवक को नदी में आमंत्रित किया और देखते-ही-देखते उसे अपनी पूरी ताकत के साथ पानी में डुबो दिया। युवक पानी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, पर सुकरात का दबाव बना रहा । आखिर युवक ने अपनी पूरी ताकत के साथ एक बार फिर कोशिश की । सुकरात इस बार युवक की ताकत को न संभाल पाए और युवक पानी से बाहर निकल आया । युवक सुकरात के प्रति किसी भी प्रकार की बदतमीजी का व्यवहार करे, उससे पहले ही सुकरात ने पूछा- मेरे द्वारा डुबोये जाने के बावजूद तुम्हें किसने उबारा ? युवक ने कहा— जीने की दृढ़ इच्छा ने । सुकरात ने कहा— सफलता का यही राज है । तुम्हारी दृढ़ इच्छा ही तुम्हारे लिए सफलता का रास्ता खोजेगी और वही तुम्हें सफलता के शिखर तक पहुँचाएगी। अपनी इच्छा-शक्ति को मुखर किये बिना सफलताएँ बिल में ही दबी रह जाती हैं । पानी आखिर तभी भाप बन पाएगा, जब इसके लिए पूरी आग हो । 1 निगाह रहे लक्ष्य पर ही ४० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only ऐसे जिएँ www.jainelibrary.org

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