Book Title: Aise Jiye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 44
________________ भाग्य था । जिसने भी समय से टक्कर लेनी चाही, समय ने उसे धूल-धूसरित किया, जिसने समय से मैत्री साधी, समय ने उसे सदा संभाला। समय सब कुछ बदल देता है, पर समय स्वयं नहीं बदलता है । वह जीने-मरने की एक मिनट की भी छूट नहीं दे सकता । जिसे जीवन देना होता है, वह हर हाल में उसका संरक्षण करता है, 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय' । जिसे वह उठाना चाहता है, उसे वह कब-किस रूप मे उठा लेगा, पता नहीं । आदमी के सौ प्रबन्ध धरे रह जाते हैं । काल उसका 'काल' बनकर उसे उठा ही ले जाता है । समय, मान गये मृत्यु भी तेरा ही एक रूप है। साधे, समय संग मैत्री लोग हाथ पर घड़ी लगाते हैं, लेकिन इसके बावजूद समय के स्वरूप और मूल्य को ध्यान नहीं दे पाते । कुछ लोग तो ऐसे नाकामे बैठे रहते हैं कि उनके लिए समय काटना मुश्किल हो जाता है। किसी घर बैठे बूढ़े से पूछो कि क्या कर रहे हो? तो जवाब मिलेगा—समय काट रहे हैं । भला समय को कोई काटा जाता है ! अगर काटेगा तो समय ही काटेगा। समय ही हमें काटता है, हम समय को नहीं। समय के प्रति सकारात्मक और रचनात्मक न होने के कारण ही समय ने आपको बूढ़ा बना दिया है । __ हम यदि कुछ कर गुजरने की अन्तर्निष्ठा से भर उठें, तो आप ताज्जुब करोगे कि स्वयं समय ने भी हमारा सहायक बनना शुरू कर दिया है। समय का न अच्छा रूप होता है, न बुरा । हम संकल्प, समर्पण, निष्ठा और दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ समय का उपयोग करें, समय हमारे द्वार पर सौभाग्य के फूल न बिखेर दे, तो मुझसे कहना । हम समय से लड़े नहीं । धार के उल्टे आखिर कितनी देर तैर सकेंगे ! समय के साथ एकता और मैत्री साधे। समय जो कुछ करे, भला या बुरा, बिना किसी ननुनच के उसे स्वीकार कर लो, यह सोचकर कि समय ने जो कुछ किया है, उसमें किसी-न-किसी तरह का मेरा हित समझकर ही किया है । जो कुछ मेरे साथ हुआ, वह होनी का ही हिसाब-किताब था। होनी को यदि सहजता से स्वीकार कर लो, तो होनी तुम्हें और सुन्दर बनाएगी । होनी को अनहोनी मान बैठे, तो दुःखी होने का इससे बड़ा आधार और कोई न होगा। इसलिए जीवन में सदा इस बात की सजगता रखें कि जीवन में जो हो, उसका होना सुन्दर हो; जीवन में जो कुछ न हो, उसका न होना भी हमारी ओर से सुन्दर हो । समय किसी को पहचानें, समय की नजाकत ३३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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