Book Title: Agam Suttani Satikam Part 06 Bhagvati
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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भगवतीअङ्गसूत्रं (२) २५/-/७/९४५ वृ. संयमस्थानद्वारे-'सुहुमसंपराये'त्यादौ ‘असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाण'त्ति अन्तर्मुहूर्ते भवानि आन्तर्मुहूर्तिकानि, अन्तर्मुहूर्तप्रमाणा हि तदद्धा, तस्याश्च प्रतिसमयं चरणविशुद्धिविशेषभावादसङ्ख्येयानि तानि भवन्ति, यथाख्याते त्वेकमेव, तदद्धायाश्चरणविशुद्धेनिर्विशेषत्वादिति।
मू. (९४६) सामाइयसंजयस्सणंभंते! केवइया संजमट्ठाणा पनत्ता?, गोयमा! असंखेजा संजमट्ठाणा प०, एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स।
सुहमसंपरायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा ! असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा प०, अहक्खायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा! एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमट्ठाणे।।
एएसिणंभंते! सामाइयछेदोवट्ठावणियपरिहारविसुद्धियसुहमसंपरागअहक्खायसंजयाणं संजमट्ठाणाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवे अहक्खायसंजमस्स एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमट्ठाणे सुहुमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेनगुणासामाइयसंजयस्स छेदोवट्ठावणियसंजयस्सय एएसिणं संजमट्ठाणा दोण्हवितुल्ला असंखेज्जगुणा १४। . ... वृ. संयमस्थानाल्पबहुत्वचिन्तायां तु किलासद्भावस्थापनया समस्तानि संयमस्थानान्येकविंशति, तकसमुपरितनं यथाख्यातस्य, ततोऽधस्तनानिचत्वारि सूक्ष्मसम्परायस्य, तानि च तस्मादसङ्खयेयगुणानि दृश्यानि, तेभ्योऽधश्चत्वारि परिहृत्यान्यान्यष्टौ परिहारिकरय, तानि च पूर्वेभ्योऽसङ्खयेयगुणानि दृश्यानि, ततः परिहृतानि, या चत्वार्यष्टौ च पूर्वोक्तानि तेभ्योऽन्यानि चचत्वारीत्येवंतानिषोडशसामायिकच्छेदोपस्थापनीयसंयतयोः पूर्वेभ्यश्चैतान्यसङ्घयातगुणानीति ... मू. (९४७)सामाइयसंजयस्सणंभंते ! केवइया चरित्तपञ्जवा प०?, गोयमा ! अनंता चरित्तपज्जवा प० एवं जाव अहक्खायसंजयस्स। .
सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहि किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! सियहीणेछट्ठाणवडिए, सामाइयसंजएणंभंते! छेदोवठ्ठावणियसंजयस्स परट्ठाणसनिगासेणं चित्तपज्जवेहिं पुच्छा, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि।
सामाइयसंजए णं भंते! सुहमसंपरागसंजयस्स परट्ठाणसनिगासेणं चरित्तपज्जवे पुच्छा, गोयमा! हीणे नोतुल्ले नो अब्भहिएअनंतगुणहीणे, एवं अहक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेहिल्लैसुतिसुवि समंछट्ठाणवडिए उवरिल्लेसुदोसुतहेव हीणे, जहाछेदोवट्ठावणिएतहा परिहारविसुद्धिएवि।
सुहमसंपरागसंजएणंभंते! सामाइयसंजयस्स परट्ठाण पुच्छा, गोयमा! नो हीणे नो तुल्ले अब्भहिएअनंतगुणमब्भहिए, एवं छेओवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समंसट्टाणे सिय हीणे नोतुल्ले सिय अब्भहिए। जइहीणे अणंतगुणहीणे अह अब्भहिए अनंतगुणमब्भहिए, सुहमसंपरायसंजयस्सअहक्खायसंजयस्सपरठाणे पुच्छा, गोरमा! हीणेनोतुल्ले नोअब्भहिए अनंतगुणहीणे, अहक्खाए हेहिल्लाणं चउण्हवि नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अनंतगुणपब्भहिए सहाणे नो हीणे तुल्लो नो अब्भहिए।
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