Book Title: Agam Suttani Satikam Part 06 Bhagvati
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 472
________________ शतकं - ३०, वर्ग:-, उद्देशकः-१ ४६९ नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, नवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहिवि समोसरणेहिं न किंचिवि पकरेइ जहेव जीवपदे, एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरइया । अकिरियावादी णं भंते! पुढविक्काइया पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं० मणुस्साउयं० नो देवाउयं पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि । सलेस्सा णं भंते! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं २ मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चैव दुविहं आउयं पकरेइ नवरं तेउलेस्साए न किंपि पकरेइ, एवं आउक्काइयाणवि, वणस्सइकाइ०, तेउका० वाउका० सव्वठ्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पक० तिरिक्खजो० पक० नो मणु० नो देवाउ० पक०, बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्मत्तनाणेसु न एक्कंपि आउयं पकरेइ । किरियावादी णं भंते ! पंचिं० तिरि० किं नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ? नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्ख० नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेइ, अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवाई चउव्विहंपि पकरेइ, जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ, एवं पम्हलेस्सावि०, एवं सुक्कलेस्सावि भाणियव्वा । कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहंपि आउयं पकरेइ, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मदिट्ठी जहा मनपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेइ, मिच्छदिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी न य एक्कंपि पकरेइ जहेव नेरइया ! नाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मद्दिट्ठी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सेसा जाव अनागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा, जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साणवि भाणियव्वा, नवरं मनपज्जवनाणी नोसन्नोवउत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा, अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसायी अयोगीय एएन एगंपि आउयं पकरेइ जहा ओहिया जीवा सेसं तहेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। किरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया अभवसिद्धिया ?, गोयमा ! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया । अकिरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीयावि अभवसियावि, एवं अन्नाणियवादीवि, वेणइयवादीवि । सलेस्सा णं श्चंते! जीवा किरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीया नो अभव सिद्धिया । सलेस्सा णं भंते! जीवा अकिरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियाव अभवसिद्धीयावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि जहा सलेस्सा, एवं जाव सुक्कलेस्सा। अलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभव सिद्धीया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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