Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 464
________________ m ३१. मुनिसुव्रत-नेमी हरिवंशसमुद्भवौ, शेषा एकविंशतिः काश्यपगोत्रा । -कल्पसूत्र टिप्पन आ. पृथ्वीचन्द्र सूत्र २, पृ १ ३२. काशो नाम इक्खु भण्णइ, जम्हा तं इक्खु पिबंति तेन काश्यपा अभिधीयते । __ -दशवकालिक, जिनदास चूणि पृ० १३२ ३३. (क) कासं--उच्छू, तस्स विकारो-कास्यः, रसः जस्स पाणं सो कासवो उसभस्वामी, तस्स जो गोत्तजाता ते कासवा, तेण वद्धमाण स्वामी कासवो, तेण कासवेण । -दशवैकालिक, अगस्त्यसिंह चूर्णि ३४. काश्यं क्षत्रियतेजः, पातीति काश्यपः । तथा च महापुराणे "काश्यमित्युच्यते तेज: काश्यपस्तस्य पालनात्" --धनञ्जय नाममाला पृ० ५७ ३५. महापुराण-द्वितीय विभाग, उत्तरपुराण, पर्व ७४ बृ. ४४४ गुणभद्राचार्य रचित, प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी ३६. देखिए लेखक की पुस्तक-महावीर जीवन दर्शन । ३७. आवश्यक नियुक्ति प. २४८ ३८. (क) महावीर चरियं, गुणचन्द्र (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र १०।१।३ ३९. आवश्यकनियुक्ति, मलयगिरिवृत्ति प. १५२ ४०. महावीरचरियं, गुणचन्द्र प. ३ ४१. आवश्यक नियुक्ति गाथा १४३ ४२. आवश्यक भाष्य गा. २ (ख) आवश्यक नियुक्ति गा. १४४ ४३. (क) आवश्यक भाष्य गा. २ प. १५२ (ख) आवश्यक नियुक्ति गा. १४४ (ग) त्रिषष्टि. १० पर्व ४४. आवश्यक नियुक्ति गा. १४५-१४६ ४५. (क) महावीर चरियं, गुणचन्द्र प. ११ (ख) त्रिषष्टि १०।१।२२-२३ ४६. आवश्यक नियुक्ति गा. ३५० से ३५२ ४७. (क) आवश्यक नियुक्ति गा. ३५३ प. २३३।१ (ख) त्रिषष्टि. १।६।१५ प. १५०।१ ४८. (क) आव. नियु. गा. ३५४ (क) त्रिषष्टि. १।६।१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526