Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

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Page 502
________________ ७४. (क) गुर्वावली--मुनिरत्नसूरि (ख) उवसग्गहरं थुत्तं, काऊणं जेण संघकल्लाणं । करुणापरेण विहियं, स भद्दबाहू गुरू जयउ ।।१।। --कल्पसूत्र कल्पार्थबोधिनी टीका में उद्धत प. २०८ ७५. मुनि कल्याणविजय जी, उपलब्ध भद्रबाहु संहिता को सत्तरहवीं शताब्दी की कृति मानते हैं । --निबन्ध निचय पृ. २९७ ७६. आवश्यक चूणि भाग २, पृ. १८७ ७७. (अ) तित्थोगालिय ८०।१।२। (ख) त्रिषष्टि. परिशिष्ट पर्व, सर्ग ९ (ग) वीर निर्वाण संवत और जैन काल गणना पृ. ९४ ७८. कौशाम्बी शाखा की उत्पत्ति कौशाम्बिका नगरी से हुई है । कौशाम्बिका नगरी वर्तमान में 'कौसम' नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान इलाहाबाद से दक्षिण और पश्चिम में ३१ मील पर अवस्थित है और जहानपुर से दक्षिण में १२ मील पर है। शुक्तिमतीया शाखा की उत्पत्ति शुक्तिमती नगर से हुई है । शुक्तिमती दक्षिण मालव प्रान्त की एक प्रसिद्ध नगरी थी। कौडम्बाण शाखा की उत्पत्ति किस स्थान से हुई है इसका सही पता नहीं लग वेत्ता श्री कल्याणविजय गणि के अभिमतानसार यह स्थान उत्तर-प्रदेश में कहीं होना चाहिए । चन्द्रनागरी शाखा की उत्पत्ति चन्द्रनगर से हुई है । चन्द्रनगर सेबडाफुली जंक्शन से ७ मील उत्तर चन्द्रनगर का रेलवे स्टेशन है और हुगली रेलवे स्टेशन से ३ मील दक्षिण में है। (क) कल्याणविजय गणि के मतानुसार स्थूलिभद्र का स्वर्गवास २१५ में नहीं, पर २२१ से भी बहुत पीछे हुआ है । तथ्यों के लिए देखिए-- --पट्टावली पराग. पृ. ५१ (ख) वीर निर्वाण संवत् और जैन काल गणना पृ. ६२ टिप्पणी ३. वृहत्कल्प भाष्य ११५० गा. ३२७५ से ३२८९ - जैन परंपरानो इतिहास भा. १ पृ. १७५-१७६ उदुम्बरीया-शाखा की उत्पत्ति उदुम्बरीया नगर से हुई थी। उदुम्बरीया का वर्तमान में नाम डोमरिया गमज' है । यह रापती नदी के दाहिने तट पर अवस्थित है। ८६. 'मासपुरीया' शाखा की उत्पत्ति वर्त देश की राजधानी 'मासपुरी' से हुई थी। ८७. चम्पीया शाखा की उत्पत्ति अंग देश की राजधानी चम्पा से हुई थी। भद्रीया शाखा की उत्त्पत्ति मलय देश की राजधानी भद्रिया से हुई थी। काकन्दीया शाखा की उत्पत्ति विदेह देश में अवस्थित काकन्दी नगरी से हुई थी। मिथिला शाखा की उत्पत्ति विदेह की राजधानी मिथिला से हुई थी। उडुवाडिय (ऋतुवाटिका) शाखा को उत्पत्ति 'उडुवाडिय' स्थान से हुई है जो आजकल 'उलवडिया; नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान कलकत्ता से १५ मील दक्षिण भागीरथी गंगा के बाय किनारे पर हाबड़ा जिले में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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