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४३ किणित ४४ कडंब ४५ दर्दरिका--गोहिया ४६ दर्दरक
१० वंश ११ पणव १२ शंख
__--बृहत्कल्पभाष्यपीठिका २४ वृत्ति
संगीत
४७ कलशी ४८ मडुक ४९ तल ५० ताल ५१ कांस्यताल ५२ रिंगिसिया ५३ लत्तिया ५४ मगरिका ५५ सुसुमारिया ५६ वंश ५७ वेणु ५८ वाली ५९ परिल्ली ६० बद्धता
गीत के तीन प्रकार हैं :१ प्रारंभ में मृदु २ मध्य में तेज ३ अन्त में मन्द
--स्थानाङग ७, उ. ३ -अनुयोगद्वार
गीत के दोष १ भीतं--भयभीत मानस से गाया जाय, २ द्रुतं-बहुत-शीघ्र-शीघ्र गाया जाय ३ अपित्थं-श्वास युक्त शीघ्र गाया जाय अथवा ह्रस्व स्वर लघु स्वर से ही गाया जाय।
--राजप्रश्नीय सूत्र ६४
१ भंभा २ मुकुन्द ३ मद्दल ४ कडंब ५ झल्लरि ६ हुडुक्क ७ कांस्यताल ८ काहल ९ तलिमा
४ उत्तालं--अति उत्ताल स्वर से व अवस्थान
ताल से गाया जाय, ५ काकस्वरं--कौए की तरह कर्ण-कटु शब्दों
से गाया जाय। ६ अनुनासिकम्--अनुनासिका से गाया जाय ।
---अनुयोगद्वार गीत के आठ गुणः१ पूर्ण-स्वर, लय और कला से युक्त
गाया जाय । २ रक्त--पूर्ण तल्लीन होकर गाया जाय ।
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