Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

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Page 511
________________ १ तत -- तन्तुवाद्य - वीणा आदि २ वितत -- मंढे हुए वाद्य - पटह आदि ३ घन -- कांस्यताल ४ झुसिर -- शुषिर - फूंक द्वारा बजने वाला वाद्य बांसुरी आदि । --स्थानाङग ४ १ शंख २ श्रृंग ३ शंखिका ४ खरमुही ५ पेया ६ पीरिपिरिया -- शूकर-पुटावनद्धमुखो वाद्य विशेषः । ७ पणव -- लघु पटह ८ पटह ९ भंभा -- ढक्का १० होरंभ -- महाढक्का ११ भेरी १२ झल्लरी १३ दुंदुभि - वृक्ष के एक भाग को भेदकर बनाया गया वाद्य । १४ मुरज -- शकटमुखी १५ मृदंग १६ नंबी मदंग -- एकतः संकीर्णो अन्यत्र विस्तृतो मुरजविशेष: । १७ आलिंग Jain Education International १८ कुतुम्ब - - चर्मावनद्धपुटो वाद्यविशेषः । १९ गोमुखी २० मर्दल २१ वीणा २२ विपंची -- त्रितंत्री वीणा २३ वल्लकी - सामान्य वीणा परिशिष्ट- ६ ( वाद्य, संगीत परिचय ) २४ महती -- शततंत्रिका वीणा २५ कच्छभी २६ चित्रवीणा २७ बद्धीसा २८ सुघोषा २९ नन्दीघोषा ३० भ्रामरी ३१ षड्भ्रामरी ३२ परवादनी - सप्ततंत्री वीणा ३३ तूणा ३४ तुम्बवीणा ३५ आमोद ३६ झंझा ३७ नकुल ३८ मुकुन्द ३९ हुडुक्की ४० विचिक्की ४१ करटा ४२ डिंडिम For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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